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भारत में 4 पाकिस्तानी समाचार चैनल बंद

Last Updated- December 11, 2022 | 8:12 PM IST

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब आधारित 22 समाचार चैनलों को बंद करने का निर्देश दिया है जिनमें से चार पाकिस्तान के हैं। इन चैनलों पर आरोप है कि ये फर्जी खबरें प्रसारित कर रहे थे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी संबंध और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा था। मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल फरवरी में सूचना प्रौद्योगिकी नियमावली 2021 की अधिसूचना जारी होने के बाद यूट्यूब आधारित भारतीय चैनलों के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई पहली बार की गई है।    

पाक अदालत ने कार्यवाही के रिकॉर्ड तलब किए
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर नैशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया और इस मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। ऐसे में देश में राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट लंबा खींचता दिख रहा है। नैशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नैशनल असेंबली को भंग कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कुछ ही घंटों में इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लिया और पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू कर दी। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद सरकार को नैशनल असेंबली की कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि अदालत सरकार एवं विदेश नीति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती और वह केवल अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और बाद में नैशनल असेंबली को भंग करने के लिए उपाध्यक्ष द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का पता लगाना चाहती है।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने प्रधान न्यायाधीश बंदियाल को उद्धृत करते हुए कहा, ‘हमारा एकमात्र ध्यान उपाध्यक्ष के फैसले पर है…उस विशेष मुद्दे पर फैसला करना हमारी प्राथमिकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अदालत ने राज्य या विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं किया। हम नीतिगत मामलों में शामिल नहीं होना चाहते।’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत यह देखना चाहती है कि क्या पीठ द्वारा उपाध्यक्ष के फैसले की समीक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अदालत केवल अध्यक्ष (स्पीकर) की कार्रवाई की वैधता पर फैसला करेगी। उन्होंने कहा, ‘हम सभी दलों से इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने को कहेंगे।’    भाषा
अमेरिका के शामिल होने के कोई सबूत नहीं
पाकिस्तान की सेना ने प्रधानमंत्री इमरान खान के उस बयान का खंडन किया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका पर अपनी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। मीडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सेना की ओर से कहा गया है कि देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।

First Published - April 5, 2022 | 11:32 PM IST

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