युद्ध के हालात से जूझ रहे यूक्रेन से करीब 20,000 भारतीय छात्रों को निकाला जा चुका है और सरकार का कहना है कि खारकीव में करीब 2000-3000 भारतीय फंसे हुए हैं जहां भारी बमबारी चल रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘जब तक हम अपने आखिरी नागरिक को वहां से नहीं निकाल लेते हैं तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। निकासी के उड़ान तब तक जारी रहेंगे जब तक देश से सभी नागरिक बाहर नहीं निकलजाते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने रूस और यूक्रेन दोनों से कुछ वक्त के लिए युद्ध रोकने का आग्रह किया है ताकि सभी भारतीय वहां से निकल सकें।
बंदूक की गोली लगने से घायल हुए एक भारतीय छात्र हरज्योत सिंह खारकीव के अस्पताल में हैं। बागची ने कहा, ‘वह जैसे ही वहां से निकलने की स्थिति में होंगे उन्हें वहां से निकाला जाएगा। सरकार उनके इलाज का खर्च उठाएगी। दूतावास को अभी उनसे संपर्क करना है जो अभी तक संभव नहीं हो पाया है क्योंकि सड़कों पर युद्ध चल रहा है। लेकिन वह अस्पताल में सुरक्षित हैं।’
इस बीच देश में गांधीनगर में आयोजित होने वाला डिफेंस एक्सपो रद्द हो गया है। रक्षा मंत्रालय इसका आयोजन करती है और इसने इसका कोई ब्योरा नहीं दिया है कि आखिर इसे क्यों रद्द किया गया है।
जब यूक्रेन में पहली बार युद्ध छिड़ा तब भारतीय दूतावास में करीब 20,000 लोगों ने पंजीकरण कराया था। हालांकि बागची ने कहा कि यूक्रेन में सभी लोगों ने पंजीकरण नहीं कराया था और छात्रों की संख्या अधिक हो सकती है। पिछले 24 घंटे में 18 विमान करीब 4,000 लोगों को लेकर स्वदेश लौटे हैं। इस तरह ऑपरेशन गंगा के तहत कुल 48 उड़ान भरी गई। यूक्रेन के आसपास करीब 16 विमान भारतीयों को लेकर उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। इनमें चार भारतीय वायुसेना के विमान भी हैं।
बागची ने कहा कि यूक्रेन की सीमा पार कर चुके अधिकांश भारतीय कल इस समय तक लौट चुके होंगे।
उन्होंने माना कि पूर्वी यूक्रेन के सुमी और खारकीव में फंसे भारतीयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया में ऐसे छात्रों के संदेश भरे पड़े हैं जिन्हें खाने और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि वहां लड़ाई चल रही है इसलिए वहां से बाहर निकलना भी खतरनाक है। बागची ने कहा कि उन्हें निकालने के लिए मानवीय कॉरिडोर बनाने और कुछ घंटों का युद्ध विराम लागू करवाने की बातचीत जारी है।
बहरहाल, हालात के बारे में कुछ कहना मुश्किल है और छोटे से छोटे कदम में भी काफी समय लग रहा है। बागची ने कहा कि करीब 1,000 भारतीय पिसोचिन शहर में थे और उन्हें निकालने के लिए पांच बसों का इंतजाम किया गया। लेकिन उन्होंने कहा कि यह काम आसान नहीं था क्योंकि पेट्रोल और वाहनों के साथ-साथ चालकों की भी कमी हो गयी है। बसों के दोनों ओर सुरक्षा बलों की जरूरत है ऐसे में कई लोगों ने भारतीय छात्रों को निकालने में अनिच्छा जताई। बागची ने यह भी कहा कि सरकार ने इस बात पर भी ध्यान दिया है कि रूस ने अपनी सीमा में बसों की पेशकश की है लेकिन पूर्वी यूक्रेन से रूस की सीमा तक सड़क अच्छी नहीं है और बसों को बिना युद्धविराम उस मार्ग पर ले जाना उचित नहीं। बागची ने कहा कि हम स्थानीय युद्ध विराम चाहते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को इसकी जानकारी दे दी गयी है। यूक्रेन की सहायता के लिए उसके पड़ोसी मुल्कों तक दवाएं और चिकित्सा उपकरण पहुंचाये गये हैं ताकि जरूरत पडऩे पर उन्हें यूक्रेन में ले जाया जा सके। बागची ने कहा कि यूक्रेन से अब मदद की पुकार कम हो रही हैं। अब तक 11,000 फोन और 9,000 ईमेल आ चुके हैं।
यूनएचआरसी मतदान से भारत अलग रहा
भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में उस मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग स्थापित करने का निर्णय लिया। संरा की 47 सदस्यीय इस परिषद में यूक्रेन में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ। प्रस्ताव पारित कर दिया गया। प्रस्ताव के पक्ष में 32 मत पड़े जबकि दो वोट (रूस और इरिट्रिया) इसके खिलाफ पड़े, वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान, सूडान और वेनेजुएला सहित 13 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में फ्रांस, जर्मनी, जापान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। परिषद ने ट्वीट किया, ‘यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप मानवाधिकार परिषद ने तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने का निर्णय लिया है।’ भारत ने पिछले एक सप्ताह के दौरान 15 देशों की सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर दो प्रस्तावों और 193 सदस्यीय महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया है। 193 सदस्यीय महासभा ने बुधवार को यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करने के लिए मतदान किया। भाषा
