विश्व बैंक के शोध पत्र (जो अभी वर्किंग पेपर है) में कहा गया है कि भारत में सत्ता का विकेंद्रीकरण बढ़ाने और स्थानीय वित्तीय क्षमता मजबूत करने की सख्त जरूरत है ताकि ऑनलाइन भुगतान प्रणालियों, एमआईएस (प्रबंधन सूचना प्रणाली) आधारित लाभार्थी चयन और लाभार्थियों की डिजिटल ट्रैकिंग के प्रसार के कारण फिर से तैयार हो रही केंद्रीकरण की प्रक्रिया रोकी जा सके।
‘टू हंड्रेड ऐंड फिफ्टी थाउजैंड डेमोक्रेसिजः अ रिव्यू ऑफ विलेज गर्वनमेंट इन इंडिया’ शीर्षक वाले वर्किंग पेपर के लेखक सिद्धार्थ जॉर्ज, विजयेंद्र राव और एम आर शरण हैं। इसमें कहा गया है, ‘पंचायतों की शक्ति छीनने के बजाय उन्हें अधिक अधिकार सौंपना, प्रभावी स्थानीय शासन सुनिश्चित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।’
इस वर्किंग पेपर में अक्षमताओं की पहचान करते हुए कहा गया है कि ग्राम पंचायत परिषद के सदस्य प्रखंड विकास कार्यालयों और जिलाधिकारियों के कार्यालयों में अधिक समय बिताते हैं और वे एक निर्णय लेने वाली सशक्त इकाई के बजाय मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं। सुशासन में सुधार के लिए बढ़ी हुई वित्तीय क्षमता और निर्णय लेने के व्यापक अधिकार को आवश्यक माना जाता है।
इस वर्किंग पेपर में कहा गया है, ‘ग्राम पंचायतों को अधिक ताकत देने का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि इससे बीडीओ और उच्च-स्तरीय नौकरशाहों पर बोझ कम होगा जो पहले से ही काफी अधिक दबाव में हैं।’
इसमें एक सिफारिश यह भी की गई है कि ग्राम परिषद के भीतर वार्ड सदस्यों को सशक्त बनाना अहम होगा जिनके पास फिलहाल वित्तीय संसाधनों की कमी है और वे केवल रबर स्टैंप के रूप में काम करते हैं। वित्तीय संसाधन आवंटित कर वार्ड सदस्यों को सशक्त बनाने से पंचायत बेहतर ढंग से काम कर सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि छोटी व्यवस्था से विकास के परिणाम बेहतर मिलते हैं।
पंचायतों की स्वायत्तता के लिए स्थानीय कर क्षमता को महत्त्वपूर्ण माना गया है। वर्किंग पेपर में कहा गया है कि बिल कलेक्टर की रिक्तियों को भरकर, संपत्ति के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने के साथ ही ग्राम पंचायतों को कर और उपकर लगाने की अधिक स्वतंत्रता देकर कर संग्रह में सुधार किया जा सकता है।
वर्किंग पेपर में कहा गया है, ‘जब पंचायतों को कई कामों के लिए जिम्मेदार माना जाएगा तब आम नागरिकों की नजर में उनकी वैधता में सुधार होगा जिससे अधिक स्थानीय राजस्व मिलेगा।’
ग्राम सभाओं की संख्या बढ़ाकर और गांव की योजना और लाभार्थी चयन में उनकी शक्तियों का विस्तार कर ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाने की सिफारिश की गई है। शोध पत्र में यह भी कहा गया है कि नागरिकों की बात सुनना बेहद जरूरी है और ग्राम सभा को एक ऐसे मंच की तरह काम करना चाहिए जो पूरी सक्रियता से नागरिकों की बात सुने।
इस शोध पत्र में सिफारिश की गई है कि पंचायतों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली तैयार करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा गांवों के शासन में सुधार के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को पंचायतों के साथ जोड़ने जैसे उपायों की बात भी की गई है।