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खाने-पीने से लेकर ट्रैवलिंग तक; कहां अपनी कमाई सबसे ज्यादा खर्च कर रहे हैं भारतीय?

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि कार्यस्थल पर जाने के लिए यात्रा करना आज के वक्त में परिवहन पर होने वाला सबसे बड़ा खर्च है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- February 10, 2025 | 10:22 PM IST

पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) के हालिया विश्लेषण से पता चला है कि साल 2023-24 में भारतीय परिवारों ने एक महीने में खाने-पीने की चीजों के अलावा परिवहन पर सबसे ज्यादा रकम खर्च की है। जानकारों का कहना है कि परिवहन पर सबसे ज्यादा खर्च का बड़ा कारण परिवारों का बढ़ता आवागमन, ईंधन की कीमतें और खराब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है।

देशभर में ग्रामीण इलाकों में आवागमन पर एक परिवार द्वारा हर महीने प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) का हिस्सा 7.6 फीसदी (312 रुपये) था। इसके बाद टिकाऊ वस्तु खरीदने में किए गए खर्च की हिस्सेदारी 6.48 फीसदी, ईंधन और लाइट की हिस्सेदारी 6.11 फीसदी और कपड़े एवं बिस्तर की हिस्सेदारी 5.67 फीसदी रही। इसी तरह शहरी इलाकों में आवागमन पर एक परिवार द्वारा हर महीने प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी (592 रुपये) रही। उसके बाद टिकाऊ वस्तुएं खरीदने पर 6.8 फीसदी और किराये पर 6.6 फीसदी खर्च किया गया। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2023-24 में ग्रामीण इलाकों में हर महीने प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय 4,122 रुपये रहा। इसके मुकाबले शहरी इलाकों में यह 6,996 रुपये था। कुल एमपीसीई में खाने-पीने के अलावा ग्रामीण इलाके के लोगों ने अन्य वस्तुओं पर 52.96 फीसदी (2,183 रुपये) और शहरी इलाकों में 60.32 फीसदी (4,219 रुपये) खर्च किए।

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि कार्यस्थल पर जाने के लिए यात्रा करना आज के वक्त में परिवहन पर होने वाला सबसे बड़ा खर्च है और ऐसा इसलिए है क्योंकि आज बड़ी संख्या में लोग काम के लिए अपने घरों से बाहर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘लोग कई कारणों से खासकर नौकरी के लिए अपने गांव, कस्बों और शहरों से यात्रा करते हैं। इस अवधि के दौरान ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण परिवहन लागत भी काफी बढ़ गई है। हालांकि, यह अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक तरीका भी है, लेकिन अब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को भी मजबूत करने का वक्त आ गया है।’

राज्य स्तर पर 16 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण इलाकों में खाने-पीने की चीजों के बाद सबसे ज्यादा खर्च परिवहन पर ही किया गया है। आंकड़े दर्शाते हैं कि आवागमन पर एमपीसीई की सर्वाधिक हिस्सेदारी केरल के ग्रामीण इलाकों (11.38 फीसदी) में थी। उसके बाद गोवा (11.14 फीसदी), तमिलनाडु (10.57 फीसदी), पंजाब (9.5 फीसदी) और महाराष्ट्र (9.3 फीसदी) का स्थान रहा।शहरी इलाकों में भी 16 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में परिवहन पर ही सबसे ज्यादा खर्च किया जाता है। 

मणिपुर में आवागमन पर एमपीसीई की हिस्सेदारी (10.96 फीसदी) सबसे अधिक रही। उसके बाद गोवा और तमिलनाडु (9.91 फीसदी), राजस्थान (9.59 फीसदी) और गुजरात (9.43 फीसदी) का स्थान रहा।

First Published : February 10, 2025 | 10:13 PM IST