Union Minister of Electronics and Information Technology Ashwini Vaishnaw (File Photo)
विपक्षी इंडिया गठबंधन के 120 से अधिक सांसदों ने केंद्र से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी), 2023 की धारा 44 (3) को निरस्त करने की मांग की है। उनकी दलील है कि यह सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को कमजोर करती है और महत्त्वपूर्ण जानकारियों को लोगों की पहुंच से दूर करती है।
विपक्षी गठबंधन के सांसदों ने याचिका को सार्वजनिक करते हुए कहा कि उन्होंने इसे केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजा है। सांसदों ने तर्क दिया है कि डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44 (3) आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1) (जे) में संशोधन करती है, क्योंकि यह सभी व्यक्तिगत सूचनाओं को उजागर करने से छूट देने का प्रयास करती है।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने ‘इंडिया’ गठबंधन नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, माकपा नेता जॉन ब्रिटास, द्रमुक नेता टीआर बालू समेत 120 से अधिक सांसदों ने इस धारा को निरस्त करने के लिए संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। वे इसे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपेंगे।
दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि विभिन्न कानूनों के तहत सार्वजनिक खुलासे का विषय होने वाले व्यक्तिगत विवरणों को नया डेटा संरक्षण नियम लागू होने के बाद भी आरटीआई अधिनियम के अधीन जारी किया जाता रहेगा।
केंद्रीय मंत्री ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता जयराम रमेश के लिखे एक पत्र के जवाब में सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए यह स्पष्टीकरण दिया है। रमेश ने भी डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम 2023 की धारा 44 (3) को ‘स्थगित, समीक्षा करने और निरस्त करने’ की मांग की थी।