उत्तर प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए चलाए गए पौधारोपण महाभियान में बुधवार को राजधानी लखनऊ सहित सभी जिलों में 37 करोड़ पेड़ लगाए गए। अभियान के तहत लगाए गए पौधों को बचाने के लिए वन विभाग उनकी जियो टैगिंग कर रहा है। जियो टैगिंग के जरिए लगाए गए पौधों और स्थानों की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या और आजमगढ़ के साथ गोरखपुर में पौधारोपण अभियान की शुरुआत की। अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्रियों सहित सभी मंत्रियों ने विभिन्न जिलों में मौजूद रह कर इसमें भाग लिया।
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राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बाराबंकी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मेरठ व ब्रजेश पाठक ने लखनऊ पौधरोपण किया। महाअभियान को सफल बनाने के लिए सभी जिलों में आईएएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया था। बुधवार को आधे दिन सभी कार्यालय, विद्यालय व अन्य संस्थाओं को केवल पौधरोपण के काम में लगाया गया था।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाया गया। इसके लिए नर्सरियों व अन्य स्थानों पर 52.43 करोड़ पौधे तैयार किए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या व आजमगढ़ में पौधरोपण करने के साथ ही जनसंवाद किया और कार्बन क्रेडिट के तहत सात किसानों को चेक भी दिया। पौधरोपण महाभियान में सरकार के 26 विभागों और 25 करोड़ नागरिकों की सहभागिता रही। सभी 18 मंडलों में पौधे लगाए गए जिनमें सबसे ज्यादा लखनऊ मंडल में लगाए गए। सभी विभागों के लिए पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। वन, वन्यजीव व पर्यावरण विभाग ने मिलकर सबसे ज्यादा 14 करोड़ से अधिक पौधे लगाए। महाभियान के तहत प्रदेश में कई जगहों पर अटल वन, एकता वन, एकलव्य वन, ऑक्सी वन, शौर्य वन, त्रिवेणी वन, गोपाल आदि वनों की स्थापना की गई है।
अभियान में 13 प्रमुख नदियों सहित सभी नदियों के किनारों पर कुल 21313.52 हेक्टेयर में 3,56,26,329 पौधे लगाए गए हैं जबकि वन विभाग द्वारा सड़क किनारे 1.14 करोड़ व एक्सप्रेसवे के किनारे 2.50 लाख पौधे लगाए गए हैं। लगाए गए पेड़ों की सुरक्षा के लिए वन विभाग सीएसआर फंड से टी- गार्ड व अन्य जरूरी सुरक्षा उपकरण की खरीद कर रहा है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जियो टैगिंग के जरिए प्रत्येक पौधे और रोपण स्थल का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। जिससे पौध रोपण के बाद भी रोपित पौधों की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी और समय-समय उनकी देखभाल और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे। इसके अलावा, कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड के माध्यम से बैंकों और निजी क्षेत्र की कंपनियों से रोपण क्षेत्रों को गोद लेने और पौधों की सिंचाई व सुरक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।