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इस साल बाघों की मौत के मामले घटे, NCTA के आंकड़ों से मिले भारत को सकारात्मक संकेत; कैसा रहा संरक्षण का सफर

ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2022 समरी रिपोर्ट के 5वें चक्र के मुताबिक भारत में 3,682 बाघ हैं और इस तरह भारत विश्व के 70 प्रतिशत से अधिक बाघों का घर बना हुआ है।

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नितिन कुमार   
Last Updated- July 29, 2024 | 11:16 PM IST

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। इस साल बाघों की मौत के मामलों में 29 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। नैशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (NCTA) के आंकड़ों के अनुसार इस साल 1 जनवरी से 29 जुलाई के बीच 81 बाघों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 114 बाघों ने जान गंवाई थी। बाघों के शावकों की मौत के मामले भी घटे हैं। इस साल अब तक केवल 8 शावकों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल 13 शावकों की जान गई थी।

बाघ के लिए 2023 सबसे संकट भरा साल था, जब देशभर में एक दशक के दौरान सबसे अधिक 178 बाघों की मौत हुई थी। ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2022 समरी रिपोर्ट के 5वें चक्र के मुताबिक भारत में 3,682 बाघ हैं और इस तरह भारत विश्व के 70 प्रतिशत से अधिक बाघों का घर बना हुआ है। ये उत्साहजनक आंकड़े ऐसे समय आए हैं जब हम विश्व बाघ दिवस मना रहे हैं। यह दिवस बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार को लोगों से वन्यजीवों के संरक्षण के कार्यक्रमों में अधिक से अधिक भाग लेने की अपील की थी।

बाघ संरक्षण का सफर

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य बाघों की संख्या बढ़ाना है, जो 1970 के दशक में लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे। वर्ष 1972 में देश में केवल 1,411 बाघ थे। एक अनुमान के मुताबिक 19वीं सदी के अंत में भारत में बाघों की संख्या 40,000 के पार थी। इनकी रिहायश के क्षेत्रों में लगातार कमी और शिकार की बढ़ती घटनाओं के कारण 20वीं सदी में बाघों की संख्या बहुत तेजी से घटी।

बाघों के इस घटते रुझान से निपटने के लिए भारतीय वन्यजीव बोर्ड (IBWL) ने 1969 में बाघ समेत इस प्रजाति की सभी जंगली बिल्लियों की खाल के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। उसी साल इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने बाघ को अपने ‘रेड डेटा बुक’ में शामिल किया और बाघों के शिकार पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग की।

वर्ष 1973 में सरकार ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की। शुरुआती चरण में 9 टाइगर रिजर्व शामिल किए गए। इस अभियान ने पिछले साल यानी 2023 में ही 50 साल पूरे किए हैं। इस महत्त्वपूर्ण अवधि को मनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बाघ संरक्षण के लिए अमृत काल की दृष्टि’ अभियान की शुरुआत की थी।

टाइगर प्रोजेक्ट अभियान के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरनैशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) का आरंभ किया, ताकि सात जंगली बिल्लियों- बाघ, शेर, तेंदुआ, स्नो लियोपार्ड, चीता, जगुआर और प्यूमा को विलुप्त होने से बचाया जा सके। इस अलायंस का विस्तार उन देशों तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जहां ये जंगली बिल्लियां पायी जाती हैं। आईबीसीए वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और इन प्रजातियों को बचाने की दिशा में प्रयास कर रहा है।

वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद वर्ष 2006 में वन्यजीव (संशोधन) अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए। इन संशोधनों की बदौलत नैशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) और वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के गठन में महत्त्वपूर्ण मदद मिली।

First Published : July 29, 2024 | 10:30 PM IST