Taking the heat off: उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही मौसम विज्ञानियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने बचाव के लिए चेतावनी जारी कर दी है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे की तैयारियों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों की सुरक्षा के लिए पहली पंक्ति है। वह फिलहाल दोहरी चुनौतियों से जूझ रही है। उसे संवेदनशील मौसम के लिए अल्पकालिक योजना बनाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति भी तैयार करने की जरूरत है।
संसद में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 के दौरान देश में लू के कारण करीब 255 लोगों की मौत हो गई। हालांकि एक दशक पहले के मुकाबले लू के कारण मरने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन तापमान के नए रिकॉर्ड पर पहुंचने के साथ ही जलवायु वैज्ञानिकों ने खास तौर पर कमजोर तबकों के बीच गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति चेतावनी जारी की है।
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अर्थशास्त्री भावेश हजारिका ने कहा कि आम तौर पर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच वाली आबादी इन बीमारियों से प्रभावित होती है।
हजारिका ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इन खतरों से निपटने के लिए मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा, आपदा संबंधी तैयारी, जलवायु के प्रति अनुकूल होने के उपायों और जलवायु परिवर्तन के कारकों पर लगाम लगाने के प्रयासों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों एवं समुदायों के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत होगी।’
मगर हजारिका को भरोसा नहीं हो रहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा इससे किस प्रकार निपटेगा। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक महामारी द्वारा उजागर हुई ढांचागत कमजोरियों में अपर्याप्त चिकित्सा आपूर्ति, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और जाति, वर्ग, लिंग, भूगोल एवं सामुदायिक असमानताओं के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुंच शामिल हैं।’ अगले दो महीनों के दौरान देश को भीषण गर्मी की चुनौती से निपटना होगा।
नई दिल्ली के साकेत में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के निदेशक (इंटर्नल मेडिसिन) रोमेल टिक्कू ने कहा, ‘गर्मी से संबंधित बीमारियां तीन प्रकार की होती हैं। शरीर में पानी की कमी एवं अत्यधिक गर्मी के कारण ऐंठन सबसे सामान्य बीमारी है। मगर आगे इससे थकावट महसूस हो सकती है। इसके अलावा मतली, उल्टी, चक्कर आना और सिरदर्द होता है। गर्मी से संबंधित सबसे खतरनाक बीमारी हीट स्ट्रोक है। यह आम बीमारी नहीं है मगर यह घातक हो सकती है। इसके लिए तुरंत अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है।’
लू, बाढ़ एवं सूखा जैसी चरम मौसम परिस्थितियों के कारण हैजा एवं टाइफाइड जैसी जल जनित बीमारियां, मलेरिया एवं डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारियां, श्वसन संबंधी समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां, कुपोषण और क्यासानूर वन रोग (केएफडी) जैसी बीमारियां फैल सकती हैं।
भारत ने 2019 में जलवायु परिवर्तन के प्रति सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को बेहतर करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ नैशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज ऐंड ह्यूमन हेल्थ शुरू किया था। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम की नोडल एजेंसी राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने अब तक जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना को अंतिम रूप नहीं दिया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने फरवरी में लू पर एक कार्यशाला का आयोजन किया था। एम्स दिल्ली के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के हर्षल साल्वे ने एक प्रस्तुति में सुझाव दिया है कि चिकित्सा कर्मियों के बीच क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण के अलावा जलवायु प्रेरित आपदाओं के लिए एक निगरानी ढांचे की तत्काल आवश्यकता है।