अमेरिकी ऋणदाता सिलिकन वैली बैंक (SVB) डूबने के बाद पैदा हुए हालात के बीच स्टार्टअप ने सरकार के साथ आज बैठक में चिंता जाहिर की। स्टार्टअप ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वायर ट्रांसफर, अमेरिकी बैंक से निकासी की सीमा लगाए जाने और अमेरिकी एजेंसियों से संवाद की कमी से उन्हें परेशानी हो रही है। उन्होंने तरजीही आधार पर उधारी की जरूरत बताई।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने SVB के बंद होने से सीधे तौर पर प्रभावित होने वाली स्टार्टअप, वेंचर कैपिटल और निवेशकों के साथ आज वर्चुअल बैठक की। उन्होंने भरोसा दिया कि आईटी मंत्रालय इन सुझावों को सूचीबद्ध कर वित्त मंत्रालय को भेजेगा।
सूत्रों के अनुसार चंद्रशेखर ने सभी हितधारकों से पूछा कि उनके बैंकिंग परिचालन को भारतीय बैंकों या गिफ्ट सिटी में मौजूद विदेशी बैंक में लाने के लिए क्या किया जा सकता है? हितधारकों ने स्टार्टअप के लिए नए ऋण उत्पाद, नियमन में रियायत, जागरूकता या अंतरण में होने वाले खर्च को कम करने के उपायों का सुझाव दिया।
बैठक में मौजूद अधिकतर हितधारक सोमवार सुबह से SVB से अपनी जमा निकालने में सक्षम हैं लेकिन वे अंतरराष्ट्रीय वायर बंद होने से अपना धन देश में नहीं ला पा रहे हैं।
वेंचर कैपिटल फर्म की पार्टनर ने कहा, ‘इन अड़चन को दूर करने के लिए संस्थापकों को सरकार से मनोवैज्ञानिक सहायता के साथ साथ द्विपक्षीय आधार पर ठोस कार्रवाई की दरकार है। हम चाहते हैं कि सरकार कुछ ऐसा करे जिस तरह से संकटग्रस्त क्षेत्र में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए अभियान चलाती है ताकि संस्थापकों को उनका पैसा वापस मिल सके।’ उन्होंने शिकायत की कि बंद होने की खबर के बाद बैंक में क्या चल रहा था, इस बारे में कोई पारदर्शिता नहीं है।
एक अन्य हितधारक ने कहा कि कार्यशील पूंजी की जरूरत को लेकर बड़ी चिंता है। इसलिए सरकार को घरेलू बैंकिंग प्रणाली या अन्य माध्यम से अगले तीन महीने के लिए तरजीही आधार पर उधारी सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि पैसे वापस मिलने में कितनी देर लगेगी और मूल जमाकर्ताओं पर इसका क्या असर पड़ेगा।’
सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर स्टार्टअप ने एसवीबी बैंक में अपने जमा पैसे को भारत लाने और उस पर लगने वाले कर तथा नियमों के अनुपालन बोझ को लेकर चिंता जताई।
मुंबई की एक अग्रणी वैंचर कैपिटल फर्म के पार्टनर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हमसे संबद्ध दर्जन भर से ज्यादा कंपनियों पर असर पड़ा है। उनमें से अधिकतर कंपनियों ने अपने स्तर से सिलिकन वैली में खाता खोला था जबकि उनका बैकएंड बेंगलूरु या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में था।