भारत

भारत आए OpenAI के प्रमुख सैम ऑल्टमैन ने बोले- इंडिया हमारा दूसरा सबसे बड़ा मार्केट

ऑल्टमैन ने आज केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की। शुरू में उनकी करीब आधे घंटे तक उनकी बैठक एक बंद कमरे में हुई।

Published by
बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 05, 2025 | 10:50 PM IST

ओपनएआई के मुख्य  कार्या​धिकारी सैम ऑल्टमैन ने आज कहा कि भारत ओपनएआई के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। उन्होंने कहा कि भारत में पिछले एक साल के दौरान ओपनएआई के उपयोगकर्ताओं की संख्या तीन गुना बढ़ी है। 

भारत की एकदिवसीय यात्रा पर आए ऑल्टमैन ने कहा, ‘यह देखकर कि भारत में लोग स्टैक, चिप्स, मॉडल आदि सभी स्तरों पर एआई (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) के साथ क्या बना रहे हैं, मुझे लगता है कि भारत को सब कुछ करना चाहिए। यह देखना वाकई आश्चर्यजनक है कि देश ने क्या किया है और इस प्रौद्योगिकी को कैसे अपनाया है।’ओपनएआई के सीईओ फिलहाल कई देशों दौरे पर निकले हैं। वह दक्षिण कोरिया, जापान और भारत का दौरा कर चुके हैं। अगले तीन दिनों के दौरान वह संयुक्त अरब अमीरात और जर्मनी का दौरा करने वाले हैं।

ऑल्टमैन ने आज केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की। शुरू में उनकी करीब आधे घंटे तक उनकी बैठक एक बंद कमरे में हुई। उसके बाद  अनौपचारिक बातचीत की गई।

मंत्री ने एक व्यापक एआई परिवेश विकसित करने के लिए भारत की रणनीति पर चर्चा की। वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जीपीयू, मॉडल और ऐप बनाने की हमारी रणनीति पर सैम के साथ अच्छी चर्चा हुई। वह तीनों पर भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।’ ऑल्टमैन ने डेवलपरों के अलावा पेटीएम, स्नैपडील, हैप्टिक आदि भारतीय स्टार्टअप के मुख्य कार्या​धिकारियों और पीक15 पार्टनर्स के राजन आनंदन जैसे उद्यमियों से भी बातचीत की। 

ऑल्टमैन से करीब दो साल पहले भारत में की गई उनकी टिप्पणी के बारे में भी पूछा गया। उन्होंने कहा था कि लोग ओपनएआई और चैटजीपीटी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बुनियादी मॉडल बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे 1 करोड़ डॉलर अथवा इससे कम लागत पर इसे तैयार नहीं कर पाएंगे।

ऑल्टमैन ने अपने उस बयान के बारे में कहा कि तब से काफी विकास हो चुका है और अब दुनिया बदल चुकी है। उन्होंने कहा, ‘हमने इन छोटे मॉडलों और रीजनिंग मॉडल के साथ बहुत कुछ सीखा है। अभी भी वह सस्ता नहीं ब​ल्कि महंगा है, लेकिन उसे किया जा सकता है। मैं समझता हूं कि इससे रचनात्मकता का जबरदस्त विस्फोट होगा और भारत को निश्चित रूप से उसमें अग्रणी  रहना चाहिए।’

ऑल्टमैन ने कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार आगे रहने वाले मॉडलों की लागत में तेजी से वृद्धि होगी। मगर बदले में उनके द्वारा सृजित आर्थिक एवं वैज्ञानिक मूल्य में भी उतनी ही बढ़ोतरी दिखेगी।

वैष्णव ने कहा, ‘युवा उद्यमी, स्टार्टअप और शोधकर्ता नवाचार के अगले स्तर को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इससे लागत कम हो जाएगी। हमारा देश कम लागत में चंद्रमा पर मिशन भेज चुका है तो हम कम लागत में ऐसा मॉडल क्यों नहीं बना सकते?’

First Published : February 5, 2025 | 10:29 PM IST