शिक्षा से जुड़ी वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (असर) में यह पाया गया है कि सरकारी और निजी स्कूलों में दाखिला 2018 के स्तर पर पहुंच गया है। मंगलवार को जारी असर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के दौर में सरकारी स्कूलों में दाखिले में बढ़ोतरी आवश्यकता बन गई थी, न कि यह कोई विकल्प था। इस रिपोर्ट में कहा गया कि यह देश की अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में सुधार का सबूत है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल जाने वाले बच्चों के सीखने के स्तर में महामारी के दौरान कमी देखी गई थी जिसमें अब सुधार दिख रहा है। सीखने के स्तर में सुधार पिछले 20 वर्षों के दौरान भी नहीं देखा गया जब से स्कूली छात्रों की बुनियादी स्तर पर पढ़ने और अंकगणितीय क्षमताओं से जुड़े डेटा पेश किए जा रहे हैं। असर की रिपोर्ट में इसकी निदेशक विलिमा वाधवा ने इसका श्रेय नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को दिया है और उनका जोर बुनियादी कौशल पर है।
रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में सुधार का स्तर बेहतर रहा है जबकि निजी स्कूलों में सीखने का स्तर महामारी के पहले के दौर से अब भी नीचे है। ग्रामीण क्षेत्रों के निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों के कक्षा 3 और कक्षा 5 के छात्रों के पढ़ने और अंकगणितीय कौशल में काफी सुधार दिखा है।