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माल ढुलाई के लिए HSN कोड लागू करेगा रेलवे, अनुचित तरीकों पर लगेगी लगाम

Published by
ध्रुवाक्ष साहा
Last Updated- April 13, 2023 | 10:45 PM IST

रेलवे मंत्रालय ने माल ढुलाई कारोबार में जिंसों के वर्गीकरण के लिए हारमोनाइज्ड सिस्मट ऑफ नोमनकलेचर (HSN) कोड की शुरुआत की है। रेलवे ने पहली बार ऐसा कदम उठाया है। रेलवे के अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘‘इसकी शुरुआत इस महीने से हुई है। हम अपने नेटवर्क से ढुलाई किए गए जिंसों की पहचान के लिए HSN कोड की शुरुआत की है। हमने निजी कपंनियों के माल ढुलाई के आर्डर में गलत जानकारी देने के अनुचित तरीके पर लगाम लगाने के लिए यह कार्रवाई शुरू की है।’’

इससे पहले रेलवे की जिंसों की अपनी सूची थी जिसकी स्वप्रमाणन के बाद ढुलाई की जाती थी। लिहाजा कई सामान और कच्चे सामान के बारे में गलत घोषणा की जाती थी। दरअसल जब से रेलवे ने जिंस की ढुलाई के दाम वसूलने शुरू किए हैं, तब से सेवा का उपयोग करने वाले आमतौर पर महंगी जिंस को सस्ती जिंस घोषित करने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह अनुमान नहीं है कि गलत जानकारी देने के कारण रेलवे को कितनी राशि का नुकसान हुआ है। हालांकि आमतौर पर 20-30 फीसदी सामान की गलत जानकारी दी जाती है।

रेलवे की माल ढुलाई के सॉफ्टवेयर फ्राइट ओपरेशन इंफार्मेशन सिस्टम्स (FOIS) के मुताबिक विभिन्न जिंसों की माल ढुलाई के दाम में अंतर है। इस क्रम में 100 किलोमीटर की दूरी तक सबसे कम माल ढुलाई की दर 87 रुपये प्रति टन है जबकि सबसे महंगी दर 271 रुपये प्रति क्विंटल है। व्यक्तिगत वैगन और पूरी रेक (रेलगाड़ी) में माल ढुलाई की दर भी अलग है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘एचएसएन कोड के लिए ई-वे बिल की भी जरूरत है। हमारी योजना यह है कि इन HSN कोड के जरिये सभी जिंसों की ढुलाई पर नजर रखी जाए। लिहाजा आर्डर की दो बार जांच होगी। खेप के ई-वे बिल और एचएसएन कोड आपस में नहीं मिलने पर हमें गलत जानकारी देने के बारे में पता चल सकता है।’’

बताया जाता है कि रेलवे 650 से अधिक जिंसों की ढुलाई करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस कदम से राष्ट्रीय रेल योजना के तहत माल ढुलाई के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। नई जिंसों की ढुलाई शुरू हो गई है। इस मामले में पूर्व मध्य रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने राय व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले की जड़ में पहुंचना चाहिए। इसका कारण मल्टीप्ल स्लैब सिस्टम है। जब सड़क यातायात के लिए कोई स्लैब आधारित सिस्टम नहीं है तो क्यों रेलवे के लिए होना चाहिए?

First Published : April 13, 2023 | 8:21 PM IST