प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तीनों सेनाओं के बीच शानदार तालमेल का प्रमाण है और उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार सुधार, समन्वय एवं अनुकूलनशीलता जारी रखने की जरूरत है। सिकंदराबाद में रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने बिना विस्तार से बताए संयुक्त क्षमता बढ़ाने के लिए थिएटर कमान के वास्ते एक रोडमैप के बारे में भी बात की।
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि संयुक्त आपूर्ति श्रृखला और एकीकरण को मजबूत करने के वास्ते जारी प्रयासों के तहत सीडीएस ने ‘एकीकृत आपूर्ति श्रृखला के लिए संयुक्त पुस्तिका’ जारी की। जनरल चौहान में अपने संबोधन में प्रौद्योगिकी-संचालित आधुनिक युद्ध क्षेत्र में बदलावों से निपटने के लिए सेना में किए जा रहे परिवर्तनकारी बदलावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सशस्त्र बलों में तालमेल और एकीकरण पर रणनीतिक दृष्टिकोण साझा किया तथा एकीकृत संचालन के भविष्य के रोडमैप को आकार देने के लिए प्रमुख बिंदुओं को भी रेखांकित किया।
‘थियेटराइजेशन मॉडल’ के तहत सरकार सेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करना तथा युद्ध एवं अभियानों के लिए उनके संसाधनों का इष्टतम इस्तेमाल करना चाहती है। ‘थिएटरीकरण योजना’ के तहत प्रत्येक थिएटर कमान में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए संयुक्त इकाई के रूप में काम करेंगी। मौजूदा समय में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की अलग-अलग कमान हैं।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी भी पारंपरिक मिशन से अलग था और यह शतरंज की बाजी जैसा था क्योंकि ‘हमें नहीं पता था’ कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी। उन्होंने कहा कि ‘टेस्ट मैच’ चौथे दिन ही रुक गया लेकिन देखा जाए तो यह लंबा संघर्ष हो सकता था। उन्होंने ‘नैरेटिव मैनेजमेंट’ के महत्त्व पर भी जोर दिया और कहा, ‘असली जीत दिमाग में होती है।’