भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास और नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) के शोधकर्ता पृथ्वी की सतह से करीब 400 किलोमीटर ऊपर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में विभिन्न दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता वाले रोगाणुओं के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। वे इन रोगाणुओं के व्यवहार, अनुकूलन और विकास के बारे में शोध कर रहे हैं।
अंतरिक्ष में रहने वाले ऐसे शोधार्थियों को परिवर्तित प्रतिरक्षा स्थितियों में काम करना होता है और उन्हें पारंपरिक चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में अंतरिक्ष मिशन के दौरान असाधारण स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझना पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर इन रोगाणुओं के प्रभाव का आकलन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर सूक्ष्मजीव परिदृश्य को समझना जरूरी है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष पृथ्वी पर नियंत्रित परिस्थितियों में अनुप्रयोगों के लिए कारगर हो सकते हैं, जिनमें अस्पतालों की गहन चिकित्सा इकाइयां और शल्य चिकित्सा कक्ष जैसी महत्त्वपूर्ण जगहें शामिल हैं, जहां विभिन्न दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता वाले रोगाणु रोगियों के देखभाल के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करते हैं।
शोधकर्ताओं ने बहुऔषधि प्रतिरोधी रोगाणुओं में देखी गई जीनोमिक, क्रियात्मक और मेटाबोलिक संवर्द्धन को समझने के लिए एक व्यापक अध्ययन किया, जिसमें विशेष रूप से एंटरोबैक्टर बुगैन्डेन्सिस पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो आईएसएस के भीतर सतहों पर पाया जाने वाला एक प्रचलित नोसोकोमियल रोगाणु है।
आईआईटी मद्रास और नासा के जेपीएल का यह साझा प्रयास वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने और अंतरिक्ष अन्वेषण की चुनौतियों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के महत्त्व को दर्शाता है। इस तरह के शोध की जरूरतों पर वाधवानी स्कूल ऑफ डेटा साइंस ऐंड एआई (डब्ल्यूएसएआई) के डेटा साइंस और एआई विभाग के प्रमुख कार्तिक रमण ने कहा, ‘सूक्ष्मजीव सबसे विषम परिस्थितियों में पनप कर हमें परेशान करते हैं। इस तरह के अध्ययन से हमें ऐसे असाधारण वातावरण में सूक्ष्मजीवों के विकास और उनके अस्तित्व के पीछे की जटिल अंतःक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है।’
अनुसंधान के व्यापक निहितार्थों पर जोर देते हुए नासा के जेपीएल में वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक कस्तूरी वेंकटेश्वरन ने कहा, ‘हमारा शोध अनुसंधान सूक्ष्मजीवों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं को उजागर करता है कि किस प्रकार कुछ सूक्ष्मजीव, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की प्रतिकूल परिस्थितियों में अवसरवादी इंसानी रोगाणु, ई. बुगैन्डेन्सिस के साथ अनुकूलन करने और जीवित रहने में मदद करते हैं।
शोधकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के भीतर विभिन्न स्थानों से अलग किए गए ई. बुगैन्डेन्सिस स्ट्रेंस के भीतर जीन संबंधी विशेषताओं और संभावित रोगाणुरोधी तंत्र की पहचान की।