मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने की बात को ध्यान में रखते हुए एक अनूठी रोजगार योजना शुरू की है। ‘ मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ’ नामक इस योजना के जरिए युवा अब न केवल काम सीख सकेंगे बल्कि उसी अवधि में उन्हें 8,000 रुपये से 10,000 रुपये तक का मासिक स्टाइपेंड भी दिया जाएगा।
कुछ युवाओं को योजना के तहत स्वीकृति पत्र सौंपकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी औपचारिक शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने यह देखा था कि कक्षा बारहवीं या आईटीआई की पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चे रोजगार के लिए बहुत परेशान होते हैं। उनको नौकरी की जरूरत होती है। ऐसे में हमने सीखो-कमाओ योजना की परिकल्पना की जहां बच्चे काम सीखने के साथ-साथ नियमित आय अर्जित कर सकेंगे।’
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मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा बेरोजगारी भत्ता देने की बात पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि चिड़िया अपने बच्चों को घोंसला नहीं पंख देती है, गाय अपने बच्चों को पैरों पर खड़ा करती है, शेरनी उन्हें शिकार करना सिखाती है। इसलिए हमने तय किया कि भत्ता नहीं देंगे बल्कि बच्चों को अलग-अलग कंपनियों में काम सिखाएंगे।’ उन्होंने कहा कि काम सीखने के बाद ये बच्चे स्थायी नौकरी भी कर सकते हैं और खुद का उद्योग भी शुरू कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना का पंजीयन जून में शुरू किया गया था। इसके तहत 8 लाख से अधिक बच्चों ने पंजीयन कराया और अब तक 16,744 कंपनियां भी इसमें पंजीकृत हो चुकी हैं। योजना के तहत अब तक 70,386 पद सामने आ चुके हैं और 15,092 अनुबंध हो चुके हैं।
Madhya Pradesh Sikho Kamao Yojana के तहत प्रशिक्षित युवाओं को मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड द्वारा एक प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में स्टार्ट अप्स के लिए भी अनुकूल माहौल है और यहां 3,500 से अधिक स्टार्ट अप्स पंजीकृत हैं। प्रदेश में स्टार्ट इकोसिस्टम बेहतर होने के कारण यहां बहुत बड़ी तादाद में महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्ट अप भी हैं। प्रदेश सरकार की स्वरोजगार योजना के तहत तीन लाख से अधिक युवाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए ऋण दिया गया है।
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