केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को श्रम शक्ति नीति, 2025 का मसौदा जारी किया। यह एक मसौदा राष्ट्रीय नीति है जिसमें मंत्रालय की भूमिका एक नियामक के रूप में नहीं बल्कि रोजगार को बढ़ावा देने वाली संस्था के रूप में पेश की गई है। मंत्रालय का यह कदम श्रम व्यवस्था में एक व्यापक बदलाव का संकेत दे रहा है।
इस मसौदा नीति में एक प्रौद्योगिकी-संचालित कर्मचारी-केंद्रित ढांचे का जिक्र है। यह ढांचा सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित नौकरी मिलान और डिजिटल अनुपालन पर आधारित है। इसका उद्देश्य भारत की विभाजित श्रम व्यवस्था को एक एकीकृत, पारदर्शी और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल में तब्दील करना है।
श्रम मंत्रालय ने बुधवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए मसौदा नीति जारी की और अंतिम रूप देने के बाद इसे अनुमोदन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेजा जाएगा। इस मसौदा नीति में वर्ष 2047 तक एक श्रम व्यवस्था तैयार करने का जिक्र है जो सार्वभौमिक कर्मचारी पंजीकरण और सामाजिक-सुरक्षा पोर्टेबिलिटी, लाखों हरित और उत्कृष्ट नौकरियों का सृजन, कार्य स्थल पर लगभग शून्य मृत्यु दर, श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोतरी, डिजिटल अनुपालन के माध्यम से अनौपचारिकता में कमी लाना, सभी राज्यों में एआई संचालित श्रम शासन क्षमता और एक राष्ट्र एकीकृत कार्यबल व्यवस्था सुनिश्चित करेगी।
श्रम मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘ईपीएफओ, ईएसआईसी, ई-श्रम और एनसीएस जैसे प्रमुख राष्ट्रीय डेटाबेस को एकीकृत श्रम व्यवस्था में लाकर यह नीति एक समावेशी और अंतर-संचालन डिजिटल प्रणाली की परिकल्पना करती है। यह आजीवन सीखने, सामाजिक संरक्षण और आय सुरक्षा का भी समर्थन करती है।’
मसौदा नीति के अनुसार यह नीति तीन चरणों में लागू की जाएगी और प्रत्येक चरण के तहत निर्धारित लक्ष्यों और समयसीमा की प्रगति पर नजर रखने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाएगा।
पहला चरण (2025-27) संस्थागत व्यवस्था और सामाजिक-सुरक्षा के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा जबकि दूसरा चरण (2027-30) सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खाता, कौशल-क्रेडिट सिस्टम और जिला-स्तरीय रोजगार सुविधा केंद्रों की देशव्यापी शुरुआत की दिशा में काम करेगा। तीसरे चरण (2030 के बाद) में सभी पहल एक साथ लाए और आगे बढ़ाए जाएंगे।
इस नीति के तहत सुचारू क्रियान्वयन के लिए एक त्रि-स्तरीय संरचना स्थापित की जाएगी। इसके साथ एक अंतर-मंत्रालयी निकाय भी होगा जिसका नाम राष्ट्रीय श्रम और रोजगार नीति क्रियान्वयन परिषद (एनएलपीआई) होगा। इसकी अध्यक्षता श्रम मंत्री करेंगे और राज्य श्रम मिशन प्रासंगिक क्रियान्वयन एवं समन्वय सुनिश्चित करेंगे। जिला श्रम संसाधन केंद्र (डीएलआरसी) कर्मचारी पंजीकरण, नौकरी मिलान, कौशल, स्टार्टअप को बढ़ावा और शिकायत निवारण के लिए एकल व्यवस्था केंद्र के रूप में काम करेंगे।
मसौदा नीति में आधुनिक निरीक्षण उपकरणों, जोखिम-आधारित अंकेक्षण और डिजिटल रिपोर्टिंग सिस्टम का उपयोग कर कार्य स्थलों पर राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वास्थ्य मानक लागू करने का भी जिक्र है जिससे अनुपालन में मजबूत आएगी।
यह नीति राष्ट्रीय करियर सेवा (नैशनल करियर सर्विस) पोर्टल को रोजगार के लिए भारत के सार्वजनिक डिजिटल ढांचे के रूप में पेश करती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध नौकरी मिलान, विश्वसनीयता सत्यापन और जरूरत के हिसाब से हुनर तैयार करने पर जोर देता है।
मसौदे में उल्लेख किया गया है कि ओपन एपीआई, अधिक भाषाओं तक पहुंच और डिजिटल सत्यापन विश्वसनीयता के माध्यम से यह नीति मझोले एवं छोटे शहरों, ग्रामीण जिलों और एमएसएमई समूहों में प्रतिभा के साथ अवसर का तालमेल बढ़ाएगी।