मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

चुनावी वर्ष में आदिवासी समुदायों पर ध्यान

Published by
संदीप कुमार
Last Updated- February 17, 2023 | 2:40 PM IST

मध्य प्रदेश देश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी वाला राज्य है लेकिन आज तक यहां इन समुदायों से एक भी मुख्यमंत्री नहीं बन सका है, आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने राजधानी भोपाल में आयोजित एक रैली में यह कहकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के माथे पर बल डाल दिए।

यह भी एक वजह है जिसके चलते प्रदेश की भाजपा सरकार पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टु शेड्यूल्ड एरियाज) अधिनियम से उम्मीद लगाए बैठी है। इस अधिनियम का लक्ष्य है आदिवासी बहुल अधिसूचित इलाकों में पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन स्थापित करना। मध्य प्रदेश में हाल ही में इस कानून के क्रियान्वयन के लिए जरूरी नियम बनाए गए हैं।

राज्य सरकार जिलों और ब्लॉक स्तर पर पेसा नियमों से संबंधित प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है। इन कार्यशालाओं में पेसा समन्वयकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है जो फैसिलटैटर यानी सेवा देने वालों की तरह काम करेंगे और आदिवासी आबादी को उनके अधिकारों से परिचित कराएंगे तथा उन्हें उनका हक दिलाने में मदद करेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि आप सबने पेसा समन्वयक बनने का मन बना लिया है। अब कोई धोखे से आदिवासी भाई-बहनों की जमीन नहीं छीन सकेगा। बाहर से आने वालों को ग्राम सभा को सूचना देनी होगी। अगर वनोपज पर आदिवासी समुदाय का अधिकार होगा तो उनका आर्थिक सशक्तीकरण भी होगा।’ मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पेसा केवल एक अधिनियम नहीं है बल्कि यह एक अभियान है जिसकी मदद से आदिवासी समुदायों का जीवन बदला जाएगा। प्रदेश में पेसा के क्रियान्वयन के लिए विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन किया जा रहा है। राज्य सरकार विभिन्न अधिकारों को समाज से जोड़ने का प्रयास कर रही है।

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश की 21.5 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति यानी एसटी समुदायों की है जबकि 15.6 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति (एससी) है। प्रदेश विधानसभा की 47 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2018 में भाजपा को इनमें से केवल 16 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं एससी समुदायों के लिए आरक्षित 35 सीटों में से भाजपा को 17 पर जीत हासिल हुई थी।

First Published : February 17, 2023 | 2:30 PM IST