लद्दाख राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। (फोटो: पीटीआई)
लद्दाख के लेह में बुधवार को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हिंसक हो गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दफ्तर में आग लगा दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है।
प्रदर्शन उस वक्त भड़के जब 10 सितंबर से 35 दिनों से जारी भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत बिगड़ने के बाद मंगलवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस भूख हड़ताल का नेतृत्व पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे थे।
हिंसा की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनम वांगचुक ने एक्स पर लिखा, “लेह में बहुत दुखद घटनाएं हुईं। मेरा शांतिपूर्ण रास्ते का संदेश आज असफल हो गया। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि कृपया इस मूर्खता को रोकें। इससे हमारे मकसद को ही नुकसान पहुंचता है।” वांगचुक ने अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल भी समाप्त कर दी और समर्थकों से कहा कि वे और परेशानी नहीं चाहते।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के बीच 6 अक्टूबर को एक नई वार्ता होने वाली है। इसी बीच, चार दिवसीय वार्षिक लद्दाख महोत्सव का अंतिम दिन भी रद्द कर दिया गया। इस महोत्सव के समापन समारोह में उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता को शामिल होना था, जिसकी शुरुआत रविवार को हुई थी।
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नौकरी में आरक्षण, भाषा की पहचान और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र ने छठी अनुसूची का दर्जा देने की बजाय अनुच्छेद 240 के तहत कुछ नियम जारी किए। लेकिन लोगों ने इसे पर्याप्त नहीं माना और वे छठी अनुसूची की मांग पर अड़े हुए हैं।
संवैधानिक सुरक्षा: अनुच्छेद 240 के तहत बनाए गए नियमों को केंद्र कभी भी बदल सकता है, जबकि छठी अनुसूची का दर्जा संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करता है और स्थानीय शासन के लिए अधिक स्वायत्तता सुनिश्चित करता है।
जमीन के अधिकारों की रक्षा: इससे बाहरी लोगों को लद्दाख में जमीन खरीदने से रोका जा सकता है। लोगों का मानना है कि यह कदम लद्दाख के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को अनियंत्रित पर्यटन और इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार से बचाने के लिए बेहद जरूरी है।
विधायी स्वायत्तता: छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) का गठन होता है, जिन्हें भूमि, वन, जल संसाधन, शिक्षा और परंपरागत कानूनों पर कानून बनाने का अधिकार होता है।
सांस्कृतिक और भाषाई मान्यता: इससे लद्दाख की स्थानीय भाषाओं जैसे भोटी और पुरगी को संरक्षित किया जा सकेगा। साथ ही शिक्षा में स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल और आधिकारिक संचार में उनकी मान्यता मिल सकेगी।