प्रतीकात्मक तस्वीर
कोलकाता की गलियों में लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी है, यातायात की रफ्तार सुस्त पड़ गई है और आनन-फानन में की गई मरम्मत के बाद पंडाल रोशनी से जगमगा रहे हैं। पिछले दिनों हुई बारिश की मार झेलते हुए कोलकाता दुर्गा पूजा उत्सव मनाने के लिए पूरी तरह तैयार दिखने लगा है।
मंगलवार को कोलकाता में मूसलाधार बारिश हुई। शहर के सात किलोमीटर दायरे में सात घंटे के दौरान 252 मिमी बारिश दर्ज की गई। शहर के सबसे बड़े त्योहार से पहले हुई भारी बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। कई पंडाल पानी में डूब गए अथवा आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। मगर आयोजक उन्हें दुरुस्त करने के लिए जोर-शोर से काम में लग गए।
सिंघी पार्क दुर्गा पूजा समिति के अभिजित मजूमदार ने कहा कि पंडाल का निचला पैनल क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्होंने कहा, ‘सजावट करने वालों और कलाकारों को तत्काल मरम्मत के लिए लाना पड़ा।’
समाजसेवी संघ में पंडाल के अधिकांश ढांचे लोहे से बने हैं। समिति के महासचिव अरिजित मैत्रा ने कहा कि पंडाल में काम करने वाले मजदूरों को तत्काल हटाना पड़ा।
बुधवार शाम तक पानी काफी हद तक कम हो जाने के बाद कोलकाता में त्योहारी उत्साह दोबारा दिखने लगा।
विज्ञापनदाता भी लोगों के इस उत्साह पर भरोसा करते हुए अपनी जेब ढीली कर दी है। कुछ आयोजकों के अनुसार, त्योहारी आयोजन की रीढ़ समझे जाने वाले कॉरपोरेट प्रायोजन कोविड से पहले की रफ्तार पर है। एफएमसीजी श्रेणी के तहत पर्सनल केयर एवं कंज्यूमर ड्यूरेबल में सुस्ती के बावजूद ऐसा दिख रहा है। विज्ञापन के मोर्चे पर फूड ऐंड बेवरिजेस, वाहन, केबल पाइप, टीएमटी बार आदि सबसे आगे हैं।
पिछले साल आरजी कर मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल्स में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार एवं हत्या के विरोध के साये में दुर्गा पूजा आयोजित की गई थी। इससे कॉरपोरेट प्रायोजन पर असर पड़ा था और ब्रांड त्योहारी खर्च से पीछे हट गए थे।
समाजसेवी के मैत्रा के अनुसार, पिछले साल की पूजा आयोजकों के लिए एक भयावह स्थिति थी और अधिकतर समितियों को घाटा हुआ था। उन्होंने कहा, ‘मगर इस साल चीजें काफी अलग हैं। कॉरपोरेट भागीदारी कोविड-पूर्व स्तर पर लौट चुकी है। हालांकि कुछ एफएमसीजी कंपनियों ने अंतिम समय में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।’
बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष अमिताभ सिन्हा ने कहा, ‘यह हमारी 75वीं वर्षगांठ है और इस साल काम काफी दमदार रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘अब हमें गेट, स्टॉल और बैनर के लिए ऑर्डरों को मना करना पड़ेगा।’ बड़े आयोजक काफी हद तक कॉरपोरेट प्रायोजन पर निर्भर करते हैं और गेट, स्टॉल एवं बैनर से काफी कमाई होती है।
सिंघी पार्क के मजूमदार ने कहा कि इस साल एक बड़ी एफएमसीजी कंपनियां और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ब्रांड पीछे हट गए। उन्होंने कहा, ‘मगर बाजार कुल मिलाकर दमदार है और प्रायोजन पिछले साल के मुकाबले अधिक है। इस साल विज्ञापनदाताओं की तादाद भी बढ़ी है मगर कुछ कंपनियों के बजट छोटे हो सकते हैं।’
फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बसु ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल प्रायोजन काफी उत्साहजनक है। यह संगठन कोलकाता में होने वाले करीब 450 आयोजकों का प्रतिनिधित्व करता है।
एक आयोजक ने कहा कि इस साल खर्च करने के मामले में एफएमसीजी कंपनियों का उत्साह गायब है और कुछ ने तो बजट में कटौती भी की है।
दुर्गा पूजा से पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को काफी रफ्तार मिलती है। राज्य में दुर्गा पूजा के करीब 45,000 आयोजन होते हैं और केवल कोलकाता में 2,740 से अधिक पूजाएं होती हैं।
पश्चिम बंगाल पर्यटन विभाग के लिए ब्रिटिश काउंसिल द्वारा किए गए एक शोध में बताया गया है कि इस त्योहार से संबंधित रचनात्मक उद्योगों की कुल कुल अर्थव्यवस्था करीब 32,377 करोड़ रुपये है। यह 2019 के दुर्गा पूजा के आसपास का अनुमानित आंकड़ा है। कहा जाता है कि 2021 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त विरासत का टैग मिलने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ चुका है।
त्योहारी खर्च का अधिकांश हिस्सा खुदरा क्षेत्र का होता है। मगर इस साल मिलाजुला रुख दिखा जो उपभोक्ताओं के बदलते रुझान को दर्शाता है। मॉल में बिक्री बढ़ रही है, जबकि पारंपरिक खरीदारी केंद्रों में बिक्री कमजोर दिख रही है। मर्लिन ग्रुप के कॉरपोरेट जनरल मैनेजर (रिटेल ऐंड हॉस्पिटैलिटी) सुभादीप बसु ने कहा, एक्रोपोलिस मॉल में पिछले सप्ताहांत ग्राहकों के बीच खरीदारी का जबरदस्त उत्साह दिखा। उन्होंने कहा, ‘लोगों की आवक 2023 के मुकाबले 10 फीसदी और पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी अधिक रहा। खुदरा विक्रेताओं ने बिक्री में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की।’
एक अन्य प्रमुख मॉल ने कहा कि इस साल बिक्री पिछले साल के मुकाबले 10 से 12 फीसदी अधिक होगी। मगर 2023 के मुकाबले बिक्री में 2 से 3 फीसदी की वृद्धि रहेगी।
पहले सर स्टुअर्ट हॉग मार्केट के नाम से चर्चित कोलकाता का ऐतिहासिक शॉपिंग केंद्र की तस्वीर अलग है। वहां भीड़भाड़ तो है लेकिन दुकानदार कमजोर सीजन से जूझ रहे हैं। बांग्लादेशी ग्राहकों के गायब होने से परेशानी और बढ़ गई है।
एसएस हॉग मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट आई है। दक्षिण कोलकाता के एक लोकप्रिय शॉपिंग केंद्र गरियहाट में भी यही स्थिति है। वहां के दुकान मालिकों का कहना है कि यह सीजन कम बजट वाला है और लोगों की आवक भी कम है। उन्होंने कहा कि कुछ ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी करने लगे हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसिएशंस के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने उम्मीद जताई कि जीएसटी दर में कटौती से बिक्री को रफ्तार मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘बिक्री बढ़नी चाहिए क्योंकि इस साल लोगों में जबरदस्त उत्साह है।’