मध्य प्रदेश कांग्रेस में पिछले 48 घंटों से चला आ रहा सियासी ड्रामा अब खत्म होता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के अपने बेटे नकुल नाथ और समर्थक विधायकों/नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने के कयासों पर विराम लग गया है।
कमल नाथ के करीबी नेता सज्जन सिंह वर्मा ने दिल्ली में कमल नाथ से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, ‘उनका कहना है कि एक काल्पनिक प्रश्न का जवाब मैं क्यों दूं? कहीं जाने का प्रश्न ही नहीं। जिस व्यक्ति ने इंदिरा जी, राजीव जी और संजय जी के साथ काम किया हो, जिसे इंदिरा जी का तीसरा बेटा कहा जाता है, उसके कहीं जाने की कल्पना ही बेमानी है।’ वर्मा ने कहा कि मौजूदा सांसद नकुल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार होंगे।
भोपाल में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘उमंग सिंघार को मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के पहले कमल नाथ को भरोसे में नहीं लिया गया जिससे वे क्षुब्ध थे। राज्य सभा सीट के लिए भी उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने शक्ति प्रदर्शन का रास्ता चुना। जिस तरह से उन्होंने छिंदवाड़ा के विधायकों तथा अन्य नेताओं के साथ दिल्ली में डेरा डाला और भाजपा में जाने के प्रश्न पर चुप्पी साधे रहे इससे उनकी साख को गहरा धक्का लगा है।’
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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राकेश दीक्षित ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘प्रदेश कांग्रेस में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के साथ नेताओं की युवा पीढ़ी ने कमान संभाल ली है। प्रदेश की राजनीति में नाथ के लिए कुछ बचा नहीं इसलिए वह राज्य सभा जाना चाहते थे। जो नेता उनके साथ दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं उनका अस्तित्व ही कमल नाथ की वजह से है इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं।’
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने राज्य सभा सीट के लिए उनके नाम पर वीटो कर दिया, जिसके बाद नाथ ने कथित रूप से भाजपा में जाने या कहें शक्ति प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।
रविवार को ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा था कि वह कमल नाथ से लगातार संपर्क में हैं और वह कहीं नहीं जा रहे हैं। सिंह ने कहा कि ईडी, आईटी और सीबीआई का जो दबाव सब पर है वह कमल नाथ पर भी है लेकिन वह दबाव में आने वाले नेता नहीं हैं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भाजपा में भी कमल नाथ को लेकर भारी मतभेद हैं। भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस कमल नाथ की वजह से कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए, उन्हें ही पार्टी में लेने का औचित्य समझा पाना मुश्किल हो जाता। गौरतलब है कि वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी कमल नाथ को ‘बासी फल’ करार देते हुए उन्हें भाजपा में लेने का विरोध किया था।