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उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण उत्पन्न हालात से क्षेत्र का पर्यटन ठप हो गया है। सरकार ने 50 से अधिक होटलों वाले इस नगर को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है। बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब सहित प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने वालों के लिए जोशीमठ एक मोटल नगर माना जाता है। शहर की अर्थव्यवस्था का 70 फीसदी हिस्सा पर्यटन उद्योग से मिलता है। शहर में हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती है, जबकि स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलता है। शहर के अधिकांश होटलों ने अपना संचालन बंद कर दिया है, कुछ ने कहा कि वे पहले से ही घाटे में चल रहे हैं।
होटल माउंट व्यू जोशीमठ के मालिक श्रीकांत डिमरी कहते हैं, ‘उद्योग के लिए सर्दी का मौसम बरबाद हो गया है, अधिकांश होटल मालिकों की कमाई 80 फीसदी से अधिक तक कम हो गई है। अब कोई नया पर्यटक नहीं आ रहा है।’ डिमरी ने अपने होटल का संचालन बंद कर दिया है। डिमरी चिंतित हैं कि वह अपने 15 लोगों के कर्मचारियों को वेतन कैसे देंगे, हालांकि उन्हें उम्मीद है कि अप्रैल में बदरीनाथ यात्रा शुरू होने से उद्योग को फिर से गति मिलेगी। डिमरी कहते हैं, ‘बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जोशीमठ कितना धंसता है।’
राज्य के पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2021 में 1.65 लाख से अधिक लोग जोशीमठ आए थे। हालांकि, बदरीनाथ, औली और हेमकुंड साहिब आदि जैसे स्थलों की यात्रा करने के लिए पांच लाख से अधिक पर्यटक शहर से गुजरे थे। चमोली के एक जिला पर्यटन विकास अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि पर्यटन उद्योग को गहरा झटका लगा है। सिर्फ होटल ही नहीं बल्कि पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी छोटे व्यवसाय ठप होते दिख रहे हैं।
सरकारी समर्थन के लिए उद्योग की मांग पर अधिकारी ने कहा, ‘अभी लोगों को निकालने पर ध्यान केंद्रित है, उद्योग से बाद में चर्चा की जाएगी।’ जोशीमठ से अब तक करीब 60 परिवालों को निकाला जा चुका है। हालांकि प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के लिए विशेषज्ञों की समिति जोशीमठ पहुंच गई है, लेकिन अभी तक जोशीमठ में आई इस आपदा के कारणों को स्पष्ट करने के लिए कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।
सोमवार से मीडिया से मुखातिब हुए आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि भूमि भार सहन नहीं कर सकती है। हमारा राहत कार्य जारी है और तब तक उस स्थान पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा।’ विशेषज्ञों ने खतरनाक स्थिति के लिए पनबिजली परियोजनाओं सहित अनियोजित बुनियादी ढांचे के विकास को जिम्मेदार ठहराया है।
जोशीमठ की घटना उत्तराखंड की छवि पर भी एक धब्बा छोड़ सकती है, जो धार्मिक और छुट्टियों दोनों के लिए पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है। राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में अपने पर्यटन उद्योग के लिए आक्रामक रूप से मीडिया अभियान चलाया था। राज्य के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों में गोमुख, यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ, हेमकुंड, उत्तरकाशी, मसूरी, हरिद्वार, नैनीताल आदि शामिल हैं। उत्तराखंड में 1,000 से अधिक होटल और पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था है। उत्तराखंड में प्रति रेस्तरां औसत कवर लगभग 30 है और प्रति प्रतिष्ठान औसत रोजगार 5.5 है।
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नैशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में पर्यटन का सीधे 2.96 फीसदी और राज्य के रोजगार में 11.8 फीसदी योगदान का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के साथ पर्यटन के जुड़ाव से संबंधित अप्रत्यक्ष शेयरों को शामिल करने के साथ, ये हिस्सेदारी जीवीए में 6.59 फीसदी और रोजगार में 26.8 फीसदी बनती है।
एनसीएईआर की रिपोर्ट के अनुसार एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटक के लिए प्रति पर्यटक औसत खर्च 90,869 रुपये है। भारत के अन्य राज्यों का एक पर्यटक एक यात्रा के दौरान 15,150 रुपये और उत्तराखंड का एक पर्यटक 7,230 रुपये खर्च करता है। अच्छी आमदनी के कारण राज्य में स्थानीय लोग आतिथ्य उद्योग में प्रवेश करते हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास मास्टर प्लान 2007-2022 के अनुसार 50 फीसदी से अधिक के औसत सकल परिचालन लाभ के साथ होटल उद्योग का वित्तीय प्रदर्शन काफी उत्साहजनक है।