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ISRO की 101वीं उड़ान को लगा झटका, तीसरे चरण में फेल हुआ PSLV-C61 मिशन

लॉन्च के बाद, रॉकेट के PS4 चरण को ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर (OCT) के जरिए उसकी ऊंचाई कम करनी थी, ताकि अंत में उसे निष्क्रिय किया जा सके।

Last Updated- May 18, 2025 | 8:47 AM IST
EOS-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिसमें C-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक का उपयोग किया गया है।

भारत का नया पृथ्वी को देखने वाला सैटेलाइट मिशन रविवार सुबह असफल हो गया। इसरो ने सुबह 5:59 बजे श्रीहरिकोटा से EOS-09 नाम का सैटेलाइट PSLV-C61 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया। यह उपग्रह सूरज के साथ घूमने वाली खास कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में भेजा जाना था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह मिशन पूरा नहीं हो सका।

तीसरे चरण में गड़बड़ी, उपग्रह नहीं पहुंच सका कक्षा में

इसरो ने बताया कि PSLV-C61 रॉकेट के पहले और दूसरे चरण ने ठीक से काम किया, लेकिन तीसरे चरण में समस्या आने के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका। इसरो ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आज 101वां लॉन्च प्रयास किया गया, PSLV-C61 का प्रदर्शन दूसरे चरण तक सामान्य रहा। लेकिन तीसरे चरण में कुछ तकनीकी समस्या के कारण मिशन सफल नहीं हो पाया।”

इसरो के चेयरमैन वी नारायणन ने कहा, “PSLV एक चार-चरणीय रॉकेट है, जिसमें पहले दो चरणों ने अच्छा प्रदर्शन किया। तीसरा चरण चालू तो हुआ, लेकिन इसके दौरान आई समस्या के कारण मिशन विफल रहा।” उन्होंने आगे कहा कि अब इसरो पूरे मिशन की बारीकी से जांच करेगा।

क्या है EOS-09 उपग्रह मिशन?

EOS-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिसमें C-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक का उपयोग किया गया है। यह उपग्रह बादल, अंधेरा या खराब मौसम की परवाह किए बिना दिन-रात पृथ्वी की सतह की साफ तस्वीरें लेने में सक्षम है। इसकी मदद से भारत की निगरानी, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन क्षमताएं काफी मजबूत होतीं।

यह EOS-04 मिशन का अगला संस्करण था, जिसे 2022 में लॉन्च किया गया था। EOS-09 का उद्देश्य निरंतर रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराना और अवलोकन की आवृत्ति को बढ़ाना था। उपग्रह में ऑपरेशन समाप्त होने के बाद सुरक्षित तरीके से नष्ट किए जाने के लिए विशेष ईंधन भी था।

रॉकेट के PS4 चरण में था ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर सिस्टम

लॉन्च के बाद, रॉकेट के PS4 चरण को ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर (OCT) के जरिए उसकी ऊंचाई कम करनी थी, ताकि अंत में उसे निष्क्रिय किया जा सके। यह प्रक्रिया ‘पासिवेशन’ कहलाती है, जो अंतरिक्ष में मलबा कम करने के लिए एक मानक तरीका है।

EOS-09 उपग्रह भारत के उस उपग्रह समूह का हिस्सा है, जिसका उपयोग कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और रणनीतिक क्षेत्रों में किया जाता है। लॉन्च से एक दिन पहले वैज्ञानिक डॉ. वेल्लूर सेल्वमूर्ति ने इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और भागीदार उद्योगों को शुभकामनाएं दी थीं।

डॉ. सेल्वमूर्ति ने एएनआई से बातचीत में कहा, “ईओएस-09 एक ऐसा सैटेलाइट है जो कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और रणनीतिक क्षेत्रों में उपयोगी है। खासकर यह सीमावर्ती इलाकों की निगरानी के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगा।”

EOS-09 का यह प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष तकनीक को और मज़बूत करेगा और कई क्षेत्रों में सटीक जानकारी देने में मदद करेगा।
डॉ. सेल्वमूर्ति ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “ईओएस-09 एक ऐसा सैटेलाइट है जो कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और रणनीतिक क्षेत्रों में उपयोगी है। खासकर यह सीमावर्ती इलाकों की निगरानी के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगा।”

ईओएस-09 का यह प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष तकनीक को और मज़बूत करेगा और कई क्षेत्रों में सटीक जानकारी देने में मदद करेगा।

First Published - May 18, 2025 | 8:47 AM IST

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