भारत

रेलवे को निजी क्षेत्र से वैगन खरीदने में आ रहीं कई दिक्कतें, पहियों की कमी व आयात निर्भरता बड़ी चुनौती

रेल मंत्रालय जुलाई तक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र से करीब 6,700 वैगन की खरीद कर पाया है, यह उसके चार महीनों के लक्ष्य 12,000 वैगन से 5,300 वैगन कम है

Published by
ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- September 15, 2025 | 10:37 PM IST

भारतीय रेल को वैगन के लिए पहियों के निर्माण में आ रही दिक्कतों के दौर में निजी क्षेत्र से वैगन खरीदने में निरंतर दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। यह जानकारी इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने दी।

रेल मंत्रालय जुलाई तक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र से करीब 6,700 वैगन की खरीद कर पाया है। यह उसके चार महीनों के लक्ष्य 12,000 वैगन से 5,300 वैगन कम है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे के वर्कशॉप और घरेलू उद्योग के अनुसार मंत्रालय अपने लक्ष्य से 40 प्रतिशत कम है।

हालांकि निजी कंपनियों पर वैगन के निर्माण की जिम्मेदारी है लेकिन वैगन के लिए पहिये रेल व्हील फैक्टरी (आरडब्ल्यूएफ) बेंगलूरु सहित रेलवे की उत्पादन इकाइयां ही मुहैया करवाती हैं।

कोलकाता मुख्यालय वाली रोलिंग स्टॉक निर्माता कंपनी टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष इंद्रजीत मुखर्जी ने बताया, ‘उद्योग अतीत में बमुश्किल वैगन का उत्पादन कर पाया था। इसका कारण यह था कि पहियों की घरेलू आपूर्ति कम होना और चीन से केवल निजी वैगन के लिए ही पहियों के सेट्स की आपूर्ति होना है।

अब आयात की अनुमति और पहियों की आपूर्ति सामान्य रूप से बहाल होने के कारण स्थिति सामान्य हो गई है। लिहाजा हम निश्चित रूप से कमी को पूरा कर सकते हैं।’ हालांकि यह अस्थायी इंतजाम इस साल की शुरुआत में किए गए हैं। दरअसल नैशनल ट्रांसपोर्टर ने इस उद्योग को उत्पादन के गिरावट से बचाने के लिए चीन से एक्सल के आयात की अनुमति दे दी थी।    टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष मुखर्जी ने बताया, ‘चीन से कुछ समय से आपूर्ति सुस्त थी और इससे कलपुर्जों की उपलब्धता की समस्या पैदा हो गई। इसके अलावा इस दौरान घरेलू उत्पादन भी सुस्त हो गया था।’ इस सिलसिले में रेल मंत्रालय को सवाल भेजे गए थे लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला था।

First Published : September 15, 2025 | 10:37 PM IST