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Indian agriculture: कृषि क्षेत्र को घटते भूजल की चुनौती से निपटने की जरूरत

Indian agriculture: भारत के कृषि क्षेत्र को 25 साल में इन चुनौतियों का सामना करना होगा: विशेषज्ञ

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- May 18, 2024 | 12:00 AM IST

भारत के कृषि क्षेत्र में छोटे व सीमांत किसानों की स्थिति में सुधार, कृषि क्षेत्र में शोध पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1 फीसदी खर्च करना, भूमिगत जल घटने से भारत की खाद्य सुरक्षा पर खतरे जैसी प्रमुख चुनौतियां हैं। कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इन चुनौतियों को गिनाते हुए कहा कि अगले 25 साल में, जब देश अमृतकाल में पहुंचेगा, इन चुनौतियों से निपटने की जरूरत है।

कृषि नीतियों की वकालत करने वाले समूह भारत कृषक समाज और गांवों पर केंद्रित प्रकाशन ‘रूरल वाइस’ की ओर से ‘कृषि में अमृतकाल’ विषय पर नई दिल्ली में आयोजित एक दिन के सेमिनार में आईटीसी के कृषि और आईटी बिजनेस के प्रमुख एस शिवकुमार ने कहा कि अगर हम भारत के किसानों को संपन्न बनाने की इच्छा रखते हैं तो हमें उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। साथ ही देश को ज्यादा नवोन्मेष करने और छोटे व सीमांत किसानों को ताकतवर बनाने की जरूरत है।

जाने-माने कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सीडी मायी ने कहा कि देश के सभी शोध संस्थानों को राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली के तहत एकीकृत करने व आईआईटी, आईआईएम व समाजशास्त्रियों आदि से जोड़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘भारत इस समय कृषि पर जीडीपी के 0.4 से 0.6 फीसदी के करीब सालाना खर्च करता है, जबकि इसका वैश्विक औसत 0.94 फीसदी है। हमें इसे अगले 25 साल में बढ़ाकर कम से कम जीडीपी का 1 फीसदी करने की जरूरत है। ’

पंजाब के पूर्व कृषि आयुक्त बलविंदर सिंधु ने कहा कि भूजल का स्तर कम होना भारतीय कृषि के लिए खतरा है और इसे हमें युद्ध स्तर पर ठीक करने की जरूरत है। पूर्व खाद्य एवं कृषि सचिव टी नंदकुमार ने कहा कि यह धारणा है कि कृषि पर कोई भी नीति किसानों की जरूरत के मुताबिक नहीं बनती है, यह धारणा खत्म किए जाने की जरूरत है।

First Published : May 17, 2024 | 11:22 PM IST