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भारत ने जिस एयर डिफेंस सिस्टम से पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर दिया, उसकी पूरी कहानी जान लीजिए

एयर डिफेंस सिस्टम भारत पाकिस्तान तनातनी के बीच सबसे अहम हथियार साबित हो रहा है। यह सिस्टम दुश्मन के हमलों को आसमान में ही खत्म कर दे रहा रहा है।

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ऋषभ राज   
Last Updated- May 09, 2025 | 8:03 PM IST

India Pakistan Conflict: आजकल भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी की खबरें हर जगह छाई हुई हैं। न्यूज चैनल, सोशल मीडिया, अखबार हर जगह बस यही चर्चा है। इस बीच खबर आई कि पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन के माध्यम से भारत के कई शहरों पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इस हमले को रोक दिया। इस हमलों को नाकाम करने का पूरा श्रेय दिया गया एयर डिफेंस सिस्टम को। लेकिन यह एयर डिफेंस सिस्टम होता क्या है? ये कैसे काम करता है? और भारत-पाकिस्तान के तनाव में इसकी क्या भूमिका है? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

एयर डिफेंस सिस्टम क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो एयर डिफेंस सिस्टम आसमान का एक सुरक्षा कवच है। ये एक ऐसी टेक्नोलॉजी और हथियारों का सेटअप है जो किसी देश को हवा से होने वाले हमलों से बचाता है। अब ये हमला दुश्मन के फाइटर जेट से हो सकता है, मिसाइल से हो सकता है, ड्रोन से हो सकता है, या फिर रॉकेट से। एयर डिफेंस सिस्टम का काम है इन खतरों को पहले तो पकड़ना, फिर ट्रैक करना और आखिर में उन्हें हवा में ही खत्म करना।

ये सिस्टम इतना स्मार्ट होता है कि दुश्मन की मिसाइल या विमान को सैकेंडों में ढूंढकर उसे नष्ट कर सकता है। इसे आप एक सुपरहाईटेक गार्ड की तरह समझिए, जो 24 घंटे आसमान पर नजर रखता है और जैसे ही कोई खतरा दिखता है, तुरंत एक्शन लेता है।

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ये कैसे काम करता है?

एयर डिफेंस सिस्टम कोई एक मशीन या हथियार नहीं है, बल्कि कई चीजों का कॉम्बिनेशन है। इसमें रडार, मिसाइल, कमांड सेंटर, सेंसर और कभी-कभी तो फाइटर जेट भी शामिल होते हैं। इसे समझने के लिए इसे स्टेप-बाय-स्टेप देखते हैं-

खतरे को पकड़ना (डिटेक्शन): सबसे पहले रडार का काम है। रडार आसमान में हर हरकत पर नजर रखता है। अगर कोई अनजान विमान, मिसाइल या ड्रोन उसकी रेंज में आता है, तो रडार तुरंत उसकी लोकेशन, स्पीड और दिशा का पता लगा लेता है। आजकल के रडार इतने एडवांस हैं कि वे स्टील्थ टेक्नोलॉजी वाले विमानों को भी पकड़ सकते हैं, जो रडार से बचने की कोशिश करते हैं।

खतरे को ट्रैक करना (ट्रैकिंग): एक बार खतरा पकड़ में आ जाए, तो सिस्टम उसे ट्रैक करना शुरू करता है। यानी उसकी हर हरकत पर नजर रखी जाती है। सेंसर और कमांड सेंटर मिलकर ये तय करते हैं कि वो क्या है – मिसाइल, जेट या कुछ और। साथ ही ये भी पता लगाया जाता है कि उसका टारगेट क्या हो सकता है।

खतरे को खत्म करना (इंटरसेप्शन): अब बारी आती है एक्शन की। अगर खतरा पक्का हो जाता है, तो एयर डिफेंस सिस्टम अपनी मिसाइल दागता है। ये मिसाइल इतनी तेज और सटीक होती है कि दुश्मन की मिसाइल या विमान को हवा में ही उड़ा देती है। कुछ सिस्टम तो एक साथ कई टारगेट्स को निशाना बना सकते हैं।

कमांड और कंट्रोल: ये सारा काम इतनी तेजी से होता है कि इंसान के लिए अकेले इसे मैनेज करना मुश्किल है। इसलिए कमांड सेंटर में सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होता है। ये सिस्टम ऑटोमैटिकली फैसले ले सकता है, लेकिन बड़े फैसलों के लिए इंसानी दखल भी जरूरी होता है।

भारत के पास कौन-कौन से एयर डिफेंस सिस्टम हैं?

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे मजबूत सिस्टम्स में से एक है। इसमें कई तरह की मिसाइलें और रडार शामिल हैं, जो अलग-अलग तरह के खतरों से निपटने के लिए बनाए गए हैं। चलिए, कुछ बड़े सिस्टम्स के बारे में जानते हैं:

1. S-400 ट्रायम्फ (S-400 Triumf)

ये भारत का सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रूस से खरीदा गया है। इसे भारतीय वायुसेना ने “सुदर्शन चक्र” नाम दिया है, क्योंकि ये दुश्मन को पलभर में खत्म कर देता है। इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक है, यानी ये 400 किमी दूर से आने वाले खतरे को पकड़ और नष्ट कर सकता है।

S-400 एक साथ 36 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है और 72 मिसाइलें दाग सकता है। ये फाइटर जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल को भी रोक सकता है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान खबर आई थी कि S-400 ने पाकिस्तान के हमले को नाकाम किया। इसे पंजाब और अन्य सीमावर्ती इलाकों में तैनात किया गया है, ताकि पाकिस्तान और चीन दोनों से खतरे को रोका जा सके।

2. आकाश मिसाइल सिस्टम

ये भारत का स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे DRDO (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) ने बनाया है। आकाश मध्यम दूरी (25-45 किमी) की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। ये खासतौर पर फाइटर जेट और ड्रोन जैसे खतरों को रोकने के लिए है। ये सिस्टम छोटी दूरी के खतरों के लिए बहुत कारगर है और इसे भारत के कई शहरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।

3. बराक-8

ये भारत और इजरायल ने मिलकर बनाया है। बराक-8 एक लंबी दूरी की मिसाइल है, जिसे जमीन और समुद्र दोनों से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी रेंज 70-100 किमी है और ये क्रूज मिसाइल, फाइटर जेट और ड्रोन को नष्ट कर सकती है। इसे भारतीय नौसेना के जहाजों पर भी तैनात किया गया है।

4. पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) और एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD)

ये दोनों सिस्टम भारत के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम का हिस्सा हैं। PAD ऊंची ऊंचाई (80-150 किमी) पर बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकता है, जबकि AAD कम ऊंचाई (30 किमी) पर काम करता है। ये सिस्टम 5000 किमी तक की दूरी से आने वाली मिसाइलों, जैसे पाकिस्तान की शाहीन या गौरी मिसाइल, को हवा में ही खत्म कर सकते हैं।

5. स्पाइडर (SPYDER)

ये इजरायल से खरीदा गया शॉर्ट-रेंज सिस्टम है, जो जमीन से हवा में मार करता है। ये छोटी दूरी के खतरों, जैसे ड्रोन और रॉकेट, को रोकने के लिए है।

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भारत-पाकिस्तान तनाव में एयर डिफेंस सिस्टम की भूमिका

पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों – जैसे श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, लुधियाना – पर हवाई हमले की कोशिश की। लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम, खासकर एस-400, ने इन हमलों को नाकाम कर दिया।

पाकिस्तान के पास चीनी मूल की HQ-9 और LY-80 जैसी एयर डिफेंस सिस्टम हैं, लेकिन ये भारत की अग्नि-5 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में नाकाम हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने अपने हारोप ड्रोन और रुद्रम-1 मिसाइल से पाकिस्तान के HQ-9 सिस्टम को तबाह कर दिया। भारत ने इजरायल की SEAD (Suppression of Enemy Air Defenses) रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसमें दुश्मन के रडार और डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय किया जाता है।

चुनौतियां क्या-क्या हैं?

हालांकि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम बहुत मजबूत है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। मिसाल के तौर पर, अगर पाकिस्तान MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल) टेक्नोलॉजी या हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल करता है, तो भारत के सिस्टम के लिए मुश्किल हो सकती है। MIRV एक मिसाइल से कई टारगेट्स को निशाना बना सकता है, जिसके लिए बहुत एडवांस ट्रैकिंग चाहिए।

इसके अलावा, अगर पाकिस्तान एक साथ कई मिसाइलें दागता है, तो भारत के सिस्टम की क्षमता का असली टेस्ट होगा। हालांकि, भारत अपने सिस्टम को लगातार अपग्रेड कर रहा है। डीआरडीओ के एक्स-राड और स्वाति रडार 300 किमी तक के टारगेट को पकड़ सकते हैं और स्टील्थ विमानों को भी ट्रैक कर सकते हैं।

भारत क्या क्या योजना बना रहा है?

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और हथियारों की रेस बढ़ रही है, भारत भी अपने कवच को और मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। भारत अपने एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में पूरी ताकत के साथ काम कर रहा है। “प्रोजेक्ट कुशा” के तहत भारत 2028-29 तक स्वदेशी लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने की योजना बना रहा है। ये सिस्टम रूस के एस-400 और इजरायल के आयरन डोम जैसा होगा।

इसके अलावा, भारतीय वायुसेना आयरन डोम जैसे सिस्टम की खरीदारी की योजना बना रही है, ताकि छोटी दूरी के रॉकेट और ड्रोन हमलों से बचा जा सके।

First Published : May 9, 2025 | 7:48 PM IST