प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत-चीन सीमा मुद्दे के ‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’ समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। उन्होंने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार करते हुए व्यापार एवं निवेश संबंधों को विस्तार देने का संकल्प लिया।
उत्तरी चीन के थ्यानचिन शहर में शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर मोदी और शी के बीच यह बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन की शुल्क संबंधी नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था में पैदा हुई उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में हुई। दोनों नेताओं ने व्यापक बातचीत में मुख्य रूप से व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास साझेदार हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए। मंत्रालय ने कहा, ‘भारत, चीन और उनके 2.8 अरब लोगों के बीच आपसी सम्मान, हित एवं संवेदनशीलता पर आधारित स्थिर संबंध तथा सहयोग, दोनों देशों की वृद्धि और विकास के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप बहुध्रुवीय दुनिया और बहुध्रुवीय एशिया के लिए आवश्यक हैं।’
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना भारत-चीन संबंधों के लिए एक बीमा पॉलिसी की तरह है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को इस स्थिति से अवगत कराया।
मिसरी ने कहा कि राष्ट्रपति शी ने द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए चार सुझाव दिए। इनमें रणनीतिक संचार को मजबूत करना और आपसी विश्वास को गहरा करना, पारस्परिक लाभ के परिणाम प्राप्त करने के लिए आदान-प्रदान और सहयोग का विस्तार, एक-दूसरे की चिंताओं को समझना तथा साझा हितों की रक्षा के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना शामिल हैं।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि मोदी और शी ने विश्व व्यापार को स्थिर करने में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार किया और द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देने तथा व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन दोनों ही सामरिक स्वायत्तता चाहते हैं तथा उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘हमने कजान (रूस) में अपनी पिछली बैठक के बाद भारत-चीन संबंधों को मिली सकारात्मक गति की समीक्षा की। हमने माना कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखना अहम है। हमने आपसी हितों और संवेदनशीलता पर आधारित सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।’
शी ने कहा कि ‘हाथी (भारत) एवं ड्रैगन (चीन)’ को एक-दूसरे की सफलता का मिलकर जश्न मनाना चाहिए। दोनों के लिए यह सही विकल्प है कि वे ऐसे दोस्त बनें जिनके बीच अच्छे पड़ोसियों वाले और सौहार्दपूर्ण संबंध हों, वे ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों और ड्रैगन एवं हाथी एक साथ नृत्य करें। उन्होंने कहा, ‘चीन और भारत पूर्व में स्थित दो प्राचीन सभ्यताएं हैं, हम दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं और हम ‘ग्लोबल साउथ’ के पुराने सदस्य भी हैं।’
भारत और चीन ने जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ी तल्खी को दूर करने के लिए हाल के महीने में कई कदम उठाए हैं। यह सात साल से अधिक समय में मोदी की चीन की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में कजान में उनकी और शी की मुलाकात के बाद भारत-चीन सीमा पर शांति एवं स्थिरता का माहौल कायम है।
मंत्रालय ने कहा, ‘मोदी और शी ने अपने समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए सीमा मुद्दे के निष्पक्ष, उचित एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के प्रति प्रतिबद्धता जताई।’ उसने कहा कि दोनों नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में लिए गए महत्त्वपूर्ण फैसलों का जिक्र किया और उनके प्रयासों को आगे भी समर्थन देने पर सहमति व्यक्त की। मंत्रालय के मुताबिक मोदी और शी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली के आधार पर सीधी उड़ानों और वीजा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता भी रेखांकित की।
मोदी ने चीन द्वारा शांघाई सहयोग संगठन की सफलतापूर्वक अध्यक्षता किए जाने के लिए शी को बधाई भी दी। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को 2026 में भारत में प्रस्तावित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित भी किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति शी ने निमंत्रण के लिए मोदी को धन्यवाद दिया और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन की पेशकश की।