प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोक सभा को बताया कि मनरेगा के तहत किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। सरकार के अनुसार तमिलनाडु को एक वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत उत्तर प्रदेश से अधिक धनराशि दी गई है, जबकि इसकी जनसंख्या उत्तरी राज्य की 20 करोड़ की आबादी की तुलना में सात करोड़ ही है। इस पर द्रमुक के सांसदों ने आपत्ति जताई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत धनराशि जारी करने में कभी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। पेम्मासानी ने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को दिए गए धन के कथित दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। पश्चिम बंगाल में योजना के क्रियान्वयन के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि राज्य में कई चीजें गलत हुईं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले, धन का दुरुपयोग हुआ। मंत्री ने कहा, ‘हमने एक ऑडिट टीम राज्य में भेजी। उन्होंने 44 ऐसे काम पाए, जिनमें अनियमितताएं थीं। उन्होंने 34 मामलों में पूरी वसूली की। अभी भी 10 अन्य काम पूरे किए जाने बाकी हैं। वित्तीय गड़बड़ी 5.37 करोड़ रुपये की थी। इसमें से उन्होंने 2.39 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। कुछ चीजों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।’
पेम्मासानी ने कहा कि जैसे ही इन चीजों पर ध्यान दिया जाएगा, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के संबंधित मंत्री के साथ बैठकर मुद्दों को सुलझाएंगे।