जम्मू-कश्मीर में विशेष दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव के खिलाफ बीजेपी की स्थानीय इकाई ने यहां विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रस्ताव बुधवार को विधानसभा में पास हुआ था, जिसमें केंद्र और चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच संवाद की मांग की गई है ताकि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल किया जा सके।
बीजेपी अध्यक्ष सतपाल शर्मा की अगुवाई में पार्टी कार्यकर्ताओं का एक समूह आज दोपहर त्रिकुटा नगर स्थित पार्टी मुख्यालय से बाहर निकला। प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी का पुतला जलाया गया और नेशनल कांफ्रेंस सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई।
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने इस प्रस्ताव को पेश किया, जिसमें पूर्व राज्य के विशेष दर्जे को बहाल करने की मांग की गई थी। यह विशेष दर्जा 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा खत्म किया गया था। प्रस्ताव को बिना किसी बहस के पास कर दिया गया, क्योंकि विपक्षी बीजेपी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच इसे आवाज मत से मंजूरी दी गई।
बीजेपी अध्यक्ष सतपाल शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अनुच्छेद 370 अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस ने इस प्रस्ताव के जरिए इसे फिर से जीवित करने की कोशिश की है।” शर्मा ने उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी को “जम्मू का जयचंद” करार देते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू के हितों की रक्षा के लिए वोट लिया था, लेकिन अब इस प्रस्ताव को पेश कर यहां का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस पूरी तरह से जानती है कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री और अमित शाह गृहमंत्री हैं, अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जा सकता, चाहे वे ऐसे हजारों प्रस्ताव पारित कर लें।
शांति को डिस्टर्ब करने की कोशिश – बीजेपी नेताओं का आरोप
बीजेपी के नेता सतपाल शर्मा ने कहा, “यह केवल शांतिपूर्ण स्थिति को disturbed करने का प्रयास है। जब हम सत्ता में थे, तब नेशनल कांफ्रेंस ने इसी तरह के प्रयास किए थे।” पूर्व में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुके शर्मा ने इस प्रस्ताव को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।
बीजेपी के पूर्व जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना ने नेशनल कांफ्रेंस और इसके गठबंधन साथी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव को लाकर उन्होंने देश के साथ विश्वासघात किया है।
रैना ने कहा, “अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को जन्म दिया और इसे बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए खत्म किया। हमें पता है कि ऐसे प्रस्ताव खत्म किए जा चुके संवैधानिक प्रावधान को बहाल करने में मदद नहीं करेंगे।”