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Digital India: Ethical hacking के प्रशिक्षण से डिजिटल इंडिया के सपने की उड़ान

ऐसे ही एक संस्थान ब्राइटेक के डीन और संस्थापक बताने वाले अंशु रहाणे का कहना है कि उनके पाठ्यक्रमों को गूगल ने प्रमाणित किया है।

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देबार्घ्य सान्याल   
Last Updated- June 11, 2023 | 11:33 PM IST

दक्षिण दिल्ली में मुनिरका की तंग गलियों में मौजूद साइबर कैफे के आकार का एक छोटा प्रशिक्षण संस्थान डिजिटल इंडिया के सपने बेच रहा है। महज 5,000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से पैसे खर्च कर आप केंद्र सरकार के साइबर सुरक्षा कार्यबल में एथिकल हैकर (मदद करने के मकसद से हैकिंग का काम) की नौकरी कर सकते हैं। संस्थान कुछ ऐसा ही वादा करता है। इस केंद्र का नाम इसके मुख्य दरवाजे के ऊपर एक छोटे बोर्ड पर लिखा गया है जिसके मुताबिक यह ‘दिल्ली कॉलेज फॉर ब्राइट फ्यूचर इन टेक’ है।

इस सेंटर के भीतर जाने पर एक छोटा कमरा नजर आता है जहां आठ डेस्कटॉप कंप्यूटरों पर 14 छात्रों और एक प्रशिक्षक ने कब्जा कर लिया गया है। यहां सीईएच या प्रमाणित एथिकल हैकिंग पर एक कक्षा चल रही है।

यह केंद्र दिल्ली के बेर सराय, कटवरिया सराय और मुनिरका इलाकों में फैले कई निजी संस्थानों में से एक है जो साइबर सुरक्षा, वेब 3 सेवाओं और उभरती प्रौद्योगिकियों आदि के विभिन्न पहलुओं से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। इन संस्थानों का कहना है कि उनके पाठ्यक्रमों में गेमिंग और मेटावर्स में मास्टर्स से लेकर ब्लॉकचेन डेवलपमेंट में पीजी डिप्लोमा और कंप्यूटिंग तथा साइबर सिक्योरिटी में बैचलर ऑफ कंप्यूटर ऐप्लिकेशन (बीसीए) तक के पाठ्यक्रम शामिल हैं।

प्रत्येक संस्थान अपनी तरफ से खास वादे करते हैं। कुछ का दावा है कि उनके उद्योग के नेताओं के साथ संबंध हैं जबकि अन्य केंद्र इस बात पर जोर देते हैं कि वे केंद्र सरकार के साइबर सुरक्षा सेल के साथ सीधा संबंध रखने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। अधिकांश आकर्षक प्लेसमेंट पैकेज का वादा करते हैं।

ऐसे ही एक संस्थान ब्राइटेक के डीन और संस्थापक बताने वाले अंशु रहाणे का कहना है कि उनके पाठ्यक्रमों को गूगल ने प्रमाणित किया है। रहाणे बताते हैं कि वह खुद ही सीख कर कंप्यूटर एथिकल हैकर बने हैं और वह ब्राइटेक में पढ़ाए जाने वाले सात पाठ्यक्रमों में से चार वह खुद पढ़ाते हैं। वह कहते हैं कि उनके व्याख्यान उनके अनुभव के आधार पर ही दिए जाते हैं जिसमें व्यावहारिक पहलू दिखाया जाता है। वह यह भी जानते हैं कि एथिकल हैकरों के लिए नौकरियां हैं।

हालांकि आईटी नौकरियों की मांग इन दिनों उतनी ज्यादा नहीं है लेकिन साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए यह व्यावहारिक रूप से अहम होता जा रहा है क्योंकि कई क्षेत्रों में साइबर हमले के खतरे बढ़ रहे हैं जैसे कि बैंकिंग, स्वास्थ्य देखभाल, ई-कॉमर्स, सरकारी एजेंसियां आदि।

मुश्किल से चार महीने पहले भारत के सबसे व्यस्त अस्पतालों में से एक दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रैंसमवेयर हमले के बाद हड़कंप मच गया था। साइबर हमले की वजह से 15 दिनों से अधिक समय तक अस्पताल में कंप्यूटर संचालित सेवाएं ठप हो गईं।

बेंगलूरु स्थित विशेषज्ञ स्टाफिंग सॉल्यूशंस कंपनी एक्सफेनो में वर्कफोर्स रिसर्च के प्रमुख प्रसाद एमएस का मानना है कि एथिकल हैकिंग सहित साइबर सुरक्षा कौशल के लिए वेतन पैकेज में पिछले दो वर्षों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वह कहते हैं, ‘इस क्षेत्र में प्रतिभाशाली लोगों की मांग निरंतर देखी जा रही है और इसमें प्रवेश स्तर की प्रतिभाओं के लिए 5 लाख रुपये से 8 लाख रुपये (वार्षिक वेतन) और वरिष्ठ विशेषज्ञ लोगों के लिए 42 लाख रुपये तक की पेशकश की गई है।’

हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि साइबर सुरक्षा में बेहद सक्रियता से प्रतिभाशाली लोग सुलभ हैं और इनकी तादाद में पिछले दो वर्षों में 42 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘साइबर सुरक्षा और गोपनीयता कौशल में सक्रिय और सुलभ प्रतिभाशाली लोगों की वर्तमान में कुल मात्रा 260,000 से अधिक है।’ हालांकि, भारत में अभी भी प्रतिभा की कमी का सामना कर रहा है।

गुरुग्राम स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी की मुख्य तकनीक अधिकारी स्मिता शर्मा कहती हैं, ‘कुशल हैकर आमतौर पर अपना पोर्टफोलियो बनाते हैं और फ्रीलांस प्रोजेक्ट से जुड़ते हैं जो उन्हें वेतन वाली नौकरी के मुकाबले बेहतर वेतन देता है। हमने अधिक स्थायी पद के लिए प्रमाणित एथिकल हैकरों को काम पर रखने की कोशिश की है लेकिन नौकरी छोड़ने की दर इतनी अधिक थी कि हमें आखिरकार पद को अनुबंध में बदलना पड़ा, जहां हम फ्रीलांस हैकरों की भर्ती करते हैं।’

वह कहती हैं कि उनकी कंपनी में अनुबंध वाले पद के लिए पुराने वेतन वाले पद के मुकाबले दोगुने से अधिक का भुगतान किया जाता है हालांकि यह सब बेहद कम अवधि के लिए होता है।

टीमलीज एडटेक के मुख्य परिचालन अधिकारी और रोजगार प्रमुख जयदीप केवलरमानी कहते हैं, ‘इस क्षेत्र के लिए एक व्यापक कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में मुख्य चुनौती, तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति और लगातार उभर रहे खतरे हैं।’ निरंतर सीखने के लिए समय और पूंजी के निवेश की मांग होती है। योग्य प्रशिक्षकों की कमी भी एक बड़ी आपूर्ति-पक्ष बाधा के संकेत देती है।

कुशल, प्रमाणित एथिकल हैकर और साइबर सुरक्षा विश्लेषक दुनिया भर से अपनी असुरक्षा से जुड़े रिपोर्ट के आधार पर एक कंपनी को सलाहकार सेवाएं प्रदान करते हैं। सुरक्षा शोधकर्ता प्रोग्राम में खामियां देखते हैं और अक्सर उन्हें ठीक करते हैं और विश्लेषकों को प्रवेश-स्तर की भूमिका निभाने के लिए देखा जाता है। खतरे को भांपने वाले, हमले की रोकथाम, क्लाउड सुरक्षा, नेटवर्क सुरक्षा और ऐप्लिकेशन सुरक्षा में विशेषज्ञता वाले पेशेवरों की मांग अधिक है। लेकिन आपूर्ति कम है।

उम्मीद है कि प्रशिक्षण संस्थान इस कमी को पूरा कर सकते हैं। मुनिरका और बेर सराय के वाणिज्यिक केंद्रों से संचालित छोटे केंद्रों के अलावा, दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में जेटकिंग, कोलकाता में इंडियन स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग (आईएसईएच) और बेंगलूरु में एफआईटीए एकेडमी जैसे स्थापित केंद्र हैं।

पाठ्यक्रम संरचना और विशेषज्ञता के बारे में, जेटकिंग के तकनीकी प्रमुख नीरज पाठक कहते हैं कि यह सेंटर क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में डिप्लोमा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम कराने के साथ-साथ ब्लॉकचेन डेवलपमेंट से भी जुड़ा है। ये पाठ्यक्रम तीन से नौ महीने लंबे हैं और संस्थान की वेबसाइट का दावा है कि उसका ऐपल, आईबीएम और इन्फोसिस जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों के साथ प्लेसमेंट के लिए भी करार है।

दिल्ली के आनंद विहार में मौजूद आईएसईएच, ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ साइबर सिक्योरिटी ऐंड एथिकल हैकिंग और एफआईटीए का भी कहना है कि उनके पास इस तरह की इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप से जुड़ा गठजोड़ है।

आईएसईएच के एक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षक का कहना है कि जो संस्थान उभरे हैं, उन्हें देखते हुए, छात्रों के लिए कभी-कभी यह बताना मुश्किल होता है कि कौन उन्हें उद्योग के लिए तैयार करेंगे और उन्हें नौकरी या कोई प्रोजेक्ट दिलाने में मदद करेंगे।

उनकी सलाह यह है, ‘इस बात की जांच कर लें कि पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप के मौके हैं या नहीं। अधिकांश स्थापित, शीर्ष स्तर के प्रशिक्षण स्कूल आपको इंटर्नशिप करने का मौका देते हैं क्योंकि आप उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। वह आगे कहते हैं कि यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि संस्थान उद्योग और इसकी मांग के साथ कितना अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।’

First Published : June 11, 2023 | 11:33 PM IST