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पराली जलाने में कमी के बावजूद बढ़ा प्रदूषण

दीवाली के एक दिन बाद 38 निगरानी केंद्रों में से 36 में एक्यूआई रेड जोन में

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यश कुमार सिंघल   
Last Updated- October 22, 2025 | 9:06 AM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दीवाली बीतने के साथ वायु प्रदूषण एक बार फिर चर्चा में है। त्योहार से अगले दिन 21 अक्टूबर को शहर भर में हवा की गुणवत्ता मापने के लिए लगाए गए 38 निगरानी केंद्रों में से 36 में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लाल निशान (रेड जोन) में चला गया है। यह बहुत खराब से गंभीर वायु गुणवत्ता का संकेतक होता है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शर्तों के साथ तय अवधि के लिए ग्रीन पटाखों की बिक्री और जलाने की अनुमति दी थी।

अक्सर ऐसा हुआ है कि दिल्ली की हवा दीवाली सप्ताह के आसपास न केवल पटाखों बल्कि पड़ोसी राज्यों में धान की पराली जलाए जाने और वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण खतरनाक हो जाती है। इस बार भी वही स्थिति बन गई है।
2020 में कोविड से प्रभावित अवधि को छोड़कर हाल के वर्षों में दीवाली के बाद तीन दिनों का औसत एक्यूआई स्तर इस त्योहार से पहले के तीन दिनों के औसत एक्यूआई स्तर से अधिक रहा है।

दोनों के बीच सबसे बड़ा अंतर 2021 में दर्ज किया गया था, जब इसमें दीवाली के बाद की तीन दिनों की अवधि में लगभग 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। पिछले साल इस दौरान एक्यूआई में सिर्फ 18 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लेकिन इस बार स्थिति फिर बदली है। ऐसा तब हुआ है जब पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले कम हुई हैं। 20 अक्टूबर तक उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में पराली जलाने के मामले 2024 में 3,485 से घटकर 1,461 दर्ज किए गए हैं। यह 58 प्रतिशत की गिरावट है। पिछले वर्ष दिल्ली की हवा में बढ़े हुए पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने का औसत योगदान 10.6 प्रतिशत था।

अन्य महानगरों में एक्यूआई काफी हद तक सुरक्षित सीमा के भीतर रहा है। वर्ष 2024 में चेन्नई और बेंगलूरु की तुलना में कोलकाता और मुंबई में दीवाली के बाद एक्यूआई काफी खराब स्तर पर था। इस वर्ष मुंबई की स्थिति और खराब हुई है।

First Published : October 22, 2025 | 9:06 AM IST