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क्या मोदी जाएंगे कुआलालंपुर? पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भागीदारी को लेकर सस्पेंस बरकरार

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 26 अक्टूबर को आयोजित होगा 20वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- October 22, 2025 | 9:13 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अभी स्थिति साफ नहीं है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन 26 अक्टूबर को कुआलालंपुर में होगा। मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद केवल एक बार 2022 में कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में हुए 17वें सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सके थे।

मलेशिया की सरकार और वहां की मीडिया ने कुछ दिन पहले कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, चीन के प्रधानमंत्री ली छयांग समेत दुनिया के अन्य दिग्गज नेताओं के साथ भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। मलेशिया के विदेश मंत्री मोहम्मद हसन ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि भारत के प्रधानमंत्री के इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है। बीते सोमवार को मलेशिया के न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स ने भी मोदी के शिखर सम्मेलन में ऐसी ही बात लिखी।

सोमवार को ही अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पुष्टि की कि वह पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कुआलालंपुर जाएंगे। उनके वर्तमान कार्यकाल के दौरान एशिया में यह उनकी पहली यात्रा है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा कार्यक्रम की घोषणा में अनिश्चितता का कारण बिहार विधान सभा चुनाव से संबंधित उनके कार्यक्रम और इसके अलावा भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कुछ निर्णायक फैसला नहीं होना तथा शिखर सम्मेलन से इतर कुआलालंपुर में मोदी और ट्रंप के बीच बैठक पर स्पष्टता नहीं होना है। मोदी और ट्रंप आखिरी बार इसी साल फरवरी में वाशिंगटन में मिले थे।

पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी टैरिफ पर उपजा तनाव दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद कुछ कम होता दिखा। पहले 17 सितंबर को ट्रंप ने फोन कर प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थीं, इसके बाद 9 अक्टूबर को मोदी ने गाजा शांति समझौते पर अमेरिका के राष्ट्रपति को बधाई दी। भारत में अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने भी नई दिल्ली में भारतीय नेतृत्व से मुलाकात की।

इन सब के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच संवाद में अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। क्योंकि, ट्रंप ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि मोदी ने फोन पर बातचीत में उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत धीरे-धीरे रूसी तेल की खरीद को रोक देगा। उन्होंने इसी सोमवार को फिर यही बात दोहराई जबकि विदेश मंत्रालय ने ऐसी किसी भी फोन कॉल के बारे में जानकारी होने साफ इनकार किया है।

यदि प्रधानमंत्री कुआलालंपुर जाते हैं, तो वह भारत के ब्रिक्स भागीदार देशों के नेताओं से मिल सकते हैं, जिनमें ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी शामिल हैं। मालूम हो कि भारत अगले साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी कनाडा के प्रधानमंत्री माइक कार्नी से भी मिल सकते हैं। कनाडा के साथ संबंध फिर पटरी पर लौट रहे हैं। वह क्वाड नेताओं के साथ भी बैठक कर सकते हैं। क्वाड सम्मेलन इस साल नई दिल्ली में होने वाला था लेकिन अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव को देखते हुए इसकी संभावना धूमिल होती जा रही है। क्वाड में भारत और अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं।

वर्ष 2022 को छोड़ दें तो प्रधानमंत्री मोदी नवंबर 2014 में म्यांमार में हुए 9वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से लेकर अब तक सभी में हिस्सा ले चुके हैं। उन्होंने नवंबर 2015 में मलेशिया, सितंबर 2016 में लाओस, नवंबर 2017 में फिलीपींस, नवंबर 2018 में सिंगापुर और नवंबर 2019 में थाईलैंड में 14वें सम्मेलन में भी भाग लिया। 16वां और 17वां सम्मेलन क्रमशः 2020 और 2021 में वियतनाम एवं ब्रुनेई के मेजबान देशों के साथ ऑनलाइन आयोजित किए गए। इसके बाद इंडोनेशिया और लाओस में क्रमशः सितंबर 2023 और अक्टूबर 2024 में हुए सम्मेलनों में भी वह गए थे।

काबुल मिशन को दूतावास का दर्जा

भारत ने मंगलवार शाम को काबुल में अपने तकनीकी मिशन को ‘तत्काल प्रभाव’ से दूतावास का दर्जा दे दिया है। इससे संबंधित एक घोषणा में कहा गया कि यह कदम अफगानिस्तान के साथ सभी क्षेत्रों में आपसी हितों को गहराई से जोड़ने के भारत के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।

भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा यह निर्णय उस समय लिया गया है जब कुछ ही दिन पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात के दौरान कहा था कि भारत काबुल में अपने राजनयिक उपस्थिति को बेहतर बनाएगा।

मुत्ताकी 9 से 15 अक्टूबर तक भारत दौरे पर थे और उन्होंने 10 अक्टूबर को एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। दौरे के दौरान उन्होंने फिक्की (भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ) के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की और उनसे विशेष रूप से खनन क्षेत्र में अफगानिस्तान में निवेश करने का आग्रह किया।

मंगलवार शाम जारी एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत का काबुल स्थित दूतावास अफगानिस्तान के समग्र विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण पहलों में भारत के योगदान को और बढ़ाएगा, जो अफगान समाज की प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप होगा।‘

भारत ने अफगानिस्तान को विकास कार्यों, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहायता देने और अफगान नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों और भारत में चिकित्सा उपचार चाहने वालों को अधिक वीज़ा जारी करने का वादा किया है।

First Published : October 22, 2025 | 9:12 AM IST