अर्थव्यवस्था

आरबीआई बदल सकता है नियम, बैंक बिना पूर्व अनुमति बना सकेंगे सहायक कंपनियां

बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट की धारा 6 में उन व्यवसायों का ब्योरा है, जिनमें स्टैंडर्ड बैंकिंग से आगे बढ़कर बैंक काम कर सकता है।

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मनोजित साहा   
Last Updated- October 22, 2025 | 9:20 AM IST

वाणिज्यिक बैंकों को सहायक इकाइयां स्थापित करने के लिए संभवतः अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अनुमति लेना अनिवार्य नहीं रह जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि अगर सहायक इकाई बीमा या संपत्ति प्रबंधन से जुड़ी हुई है तो बैंक को संबंधित नियामकों से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। केंद्रीय बैंक इस मसले पर विचार कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि बैंकों की कारोबार सुगमता के लिए इस पर विचार किया जा रहा है। नियामक वित्तीय क्षेत्र के लिए नियमों को सुव्यवस्थित कर रहा है, ताकि कारोबार करने में आसानी हो और यह उसी दिशा में एक कदम है।

बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट की धारा 6 में उन व्यवसायों का ब्योरा है, जिनमें स्टैंडर्ड बैंकिंग से आगे बढ़कर बैंक काम कर सकता है। अगर बैंकों को मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती है, तो यह मौजूदा प्रथा से उल्लेखनीय बदलाव होगा।

करीब 2 दशकों से रिजर्व बैंक ने किसी बैंक को सहायक इकाई स्थापित करने की अनुमति नहीं दी है। इसके पहले तमाम बड़े निजी बैंकों ने नियामक से कारोबार के लिए सहायक इकाई बनाने की अनुमति के लिए अनुरोध किया था, जिसमें लेंडिंग और इन्फ्रा फाइनैंस जैसे व्यवसाय शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी।

इसके अलावा बैंकों द्वारा किए गए व्यवसायों के तरीकों के को लेकर रिजर्व बैंक मसौदा मानक पेश करेगा। इसमें यह प्रस्ताव किया जाएगा कि बैंकों की शाखाएं उस तरह की उधारी देने से दूर रहें, जैसा मूल बैंक करता है। इसके बजाय शाखाओं को उन सेग्मेंट पर ध्यान देना होगा, जिस क्षेत्र में मूल बैंक की मौजूदगी नहीं है।

सूत्र ने कहा, ‘उदाहरण के लिए अगर कोई बैंक आवास ऋण पर ध्यान दे रहा है तो उसकी सहायक इकाई सस्ते आवास या संपत्ति पर ऋण देने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इसके पीछे विचार यह है कि काम का दोहराव नहीं होना चाहिए।’

First Published : October 22, 2025 | 9:20 AM IST