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चंद्रयान-3 की सफलता ने हमें अधिक चुनौतीपूर्ण अभियान शुरू करने का साहस दिया: इसरो प्रमुख वी नारायणन

इसरो प्रमुख वी नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता से भारत ने साहस पाया है और अब अंतरिक्ष स्टेशन, गगनयान, चंद्र और शुक्र मिशन जैसी बड़ी योजनाओं पर काम जारी है

Last Updated- September 21, 2025 | 11:01 PM IST
Dr V Narayanan

नई दिल्ली में शनिवार को ब्लूप्रिंट पत्रिका के विमोचन कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने शतरूपा भट्टाचार्य से भविष्य में भारत द्वारा अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने, मानव अंतरिक्ष उड़ान और नियोजित चंद्र अभियान के साथ-साथ उपग्रहों के रणनीतिक महत्त्व पर बात की। पेश हैं संपादित अंशः

भारत वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में किस तरह योगदान दे रहा है?

चंद्रयान-3 की सफलता हमारी अंतरिक्ष यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हुई। इसने इसने इसरो सहित पूरे देश में आत्मविश्वास का संचार हुआ है। हर भारतीय ने उस पल गर्व महसूस किया। इसने हमें और अधिक चुनौतीपूर्ण अभियान शुरू करने का जरूरी साहस दिया है जो सबसे अच्छी बात रही है। आज चंद्रमा की कक्षा में भारत के पास सबसे अच्छा कैमरा है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाले एकमात्र देश भी हैं। हमें चंद्रमा की सतह पर आठ खनिज मिले हैं। हमारे जांच ने तापमान प्रोफाइल (अन्य चीजों के अलावा) लिया है। हमारे रोवर ने चंद्रमा पर कुछ ऐसे स्थान का पता लगाया  है जहां भूकंपीय गतिविधियां (भूकंप के समान) होती हैं। भारत ने 2040 तक चंद्रमा पर उतरने की योजना बनाई है। चांद पर पहली बार कदम रखने के 71 वर्षों बाद यह दोबारा किया जाएगा।

भविष्य के अभियान में कैसी सफलताएं मिलने की उम्मीद है?

हम इस पर अध्ययन करने के प्रारंभिक चरण में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे इस मिशन पर काम करने के लिए दिशानिर्देश दिए हैं। हमें अपने स्वयं के रॉकेट का उपयोग कर अपने लोगों को चंद्रमा पर उतारना है और निश्चित रूप से बहुत सारे प्रयोगों को अंजाम देने के बाद उन्हें सुरक्षित वापस भी लाना है। यह मिशन का प्रमुख उद्देश्य है। हालांकि, कई लोगों ने चंद्रमा का अध्ययन किया है लेकिन भारत अमेरिका के साथ चंद्रमा पर पानी के अणुओं को खोजने वाला पहला देश है। चंद्रयान-1यह एक बड़ी खोज थी । भविष्य में इस कार्यक्रम का मिशन प्रौद्योगिकी विकास शामिल है।

गगनयान मिशन में इतना समय क्यों लग रहा है?

इस मिशन के लिए मनुष्यों की सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है, इसलिए हम जोखिम नहीं ले सकते। हमें प्रक्षेपण यान की ‘मानव-रेटिंग’ करनी होगी। इसे बड़ी संख्या में परीक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाना है। हमें उस मॉड्यूल को विकसित करना होगा जिसमें मनुष्य नियंत्रित दबाव, तापमान, आर्द्रता और स्थितियों के साथ यात्रा करेंगे। यह सब कुछ स्वचालित रूप में होना चाहिए। हम इसे स्वदेशी रूप से विकसित कर रहे हैं। लगभग 75-80 प्रतिशत विकास पूरा हो चुका है। रॉकेट कम से कम 28,400 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करेगा, इसलिए हमें सभी सुरक्षा जांचों की आवश्यकता है। हम पहले ही क्रू-एस्केप सिस्टम का परीक्षण कर चुके हैं और हमारे पास जल्द ही एक और परीक्षण होगा। हमारे पास तीन मानव रहित मिशन होंगे (मनुष्यों को भेजने से पहले)। पहला मिशन इस दिसंबर के लिए प्रस्तावित है। यह एक ह्यूमनॉइड द्वारा किया जाएगा।

वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की भारत की योजना कितनी आगे बढ़ी है?

हम 2035 तक एक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना बना रहे हैं। कॉन्फिगरेशन पूरा हो गया है। यह 52 टन द्रव्यमान का है और इसे पांच मॉड्यूल (शुरुआत में) के साथ अंतरिक्ष में इकट्ठा किया जाएगा। जनवरी में हमने इसकी डॉकिंग के लिए प्रयोग भी किया है। भारत अब तक इस तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन करने वाला चौथा देश है। दूसरा प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) इंटरफेस होगा। अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक अपने निर्धारित स्थान पर होगा।

क्या यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या चीन के अंतरिक्ष स्टेशन के आसपास यह रहेगा, क्योंकि इसे पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर स्थापित करना होगा?

सभी अंतरिक्ष-यात्रा करने वाले देशों के बीच एक समझ और सहयोगात्मक प्रयास होता है। अंतरिक्ष में किसी और चीज से टकराना हमारे हित में नहीं है। दूरी 400 किलोमीटर होगी या 420 किलोमीटर, अभी तक तय नहीं हुई है। लेकिन इसे (बीएएस) अंतरिक्ष में उचित स्थान पर पहुंचाया जाएगा।

शुक्र परिक्रमा मिशन पर क्या प्रगति हुई है?

हम शुक्र परिक्रमा (वीनस ऑर्बिटर) मिशन  पर काम कर रहे हैं। यह एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है। हम एक और मंगल मिशन पर भी काम कर रहे हैं।

अंतरिक्ष कार्यक्रम और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संबंधों पर आप क्या कहेंगे?

रक्षा टीम के साथ मिलकर हमारी जिम्मेदारी भारत के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करना भी है। इस उद्देश्य की पूर्ति में उपग्रह बहुत कुछ कर सकते हैं। वे अच्छी और नुकसानदेह दोनों चीजें का पता लगा सकते हैं। आप अंतरिक्ष से बहुत सी चीजों का निरीक्षण कर सकते हैं। एक और पहलू वास्तविक समय में संचार का है, खासकर युद्ध जैसी स्थितियों में इसका महत्त्व काफी बढ़ जाता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी हमने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई थी।

First Published - September 21, 2025 | 10:45 PM IST

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