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Cabinet Decisions: असम, त्रिपुरा के लिए 4,250 करोड़ का विशेष विकास पैकेज

7,250 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में 4,250 करोड़ रुपये भारत सरकार द्वारा SDPs योजना के तहत दिए जाएंगे, जिसमें असम के लिए 4,000 करोड़, त्रिपुरा के लिए 250 करोड़ हैं।

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निमिष कुमार   
Last Updated- August 08, 2025 | 6:46 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट ने असम और त्रिपुरा के लिए मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र की विशेष विकास पैकेज (SDPs) योजना में चार नए घटकों को मंजूरी दे दी है। इन नए घटकों के लिए कुल 4,250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो क्षेत्रीय विकास और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देगा।

  • असम के आदिवासी बसावट वाले गांवों और इलाकों के लिए 500 करोड़ रुपये। यह खर्च भारत सरकार, असम सरकार और असम के आदिवासी समूहों के बीच हुए समझौते (MoS) के तहत होगा।
  • असम के नॉर्थ कैशर हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल क्षेत्र में रहने वाले दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) और दिमासा पीपुल्स सुप्रीम काउंसिल (DPSC) के इलाकों के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये।
  • असम की अन्य जिलों में यूएलएफए (ULFA) समूह के तहत क्षेत्रीय अवसंरचना विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये, जिनमें राज्य सरकार असम की ओर से भी हिस्सा होगा।
  • त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों के लिए 250 करोड़ रुपये, जो राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) समूहों के साथ हुए समझौते के आधार पर खर्च होंगे।

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कुल 7,250 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में से 4,250 करोड़ रुपये भारत सरकार द्वारा SDPs योजना के तहत दिए जाएंगे, जिसमें असम के लिए 4,000 करोड़ और त्रिपुरा के लिए 250 करोड़ शामिल हैं। शेष 3,000 करोड़ रुपये असम सरकार अपने संसाधनों से प्रदान करेगी। यह वित्तीय व्यवस्था 2025-26 से 2029-30 तक लागू रहेगी।

  • अवसंरचना और आजीविका परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न होगा।
  • युवाओं और महिलाओं के कौशल विकास, आय वृद्धि और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • प्रभावित समुदायों के लिए स्थिरता एवं मुख्यधारा में उनकी सहभागिता सुनिश्चित होगी।
  • पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र में और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

यह योजना विशेष रूप से असम और त्रिपुरा के कमजोर और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए लक्षित है, जो अब तक विभिन्न सरकारी योजनाओं का पूर्ण लाभ नहीं उठा पाए हैं। यह पहल भारत सरकार, असम व त्रिपुरा की राज्य सरकारों और संबंधित जातीय समूहों के बीच हुए समझौतों पर आधारित है। इनमें 2022 से लेकर 2024 तक आदिवासी समूह, DNLA/DPSC, ULFA, NLFT/ATTF के साथ समझौते शामिल हैं, जिनका उद्देश्य क्षेत्र में शांति स्थापित करना, समावेशी विकास करना और पुनर्वास को प्रोत्साहित करना है। सरकार का मानना है कि यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के असम और त्रिपुरा में विकास की नई प्रक्रिया शुरू करेगी, जिससे न केवल आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी बल्कि सामाजिक शांति और सौहार्द भी मजबूत होगा।

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First Published : August 8, 2025 | 6:34 PM IST