भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शीघ्र ही अपने दो लंबित विवादित मुद्दों नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की दिशा में बढ़ रही है। सीएए केंद्र सरकार को लागू करना है, जबकि यूसीसी को अपनाने के लिए भाजपा शासित कुछ राज्य कानूनी प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं।
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने सोमवार को एक समाचार चैनल को बताया कि देश में एक सप्ताह के अंदर सीएए लागू कर दिया जाएगा। शांतनु पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना में पड़ने वाली बनगांव सीट से भाजपा के सांसद हैं। भारत-बांग्लादेश सीमा के पास इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतुआ समुदाय की बहुत बड़ी आबादी रहती है।
पूर्व में भाजपा बांग्लादेश में रहने वाले इस समुदाय के लोगों का उत्पीड़न रोकने और भाग कर भारत आ चुके लोगों को भारतीय नागरिकता देने की मांग करती रही है। चुनाव के दौरान पार्टी पड़ोसी देश से अवैध घुसपैठ के मसले को भी जोर-शोर से उठाती है। मतुआ समुदाय से आने वाले पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी बीते रविवार को इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक लाने की घोषणा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि उनकी सरकार प्रदेश में जल्द ही यूसीसी लागू करने जा रही है। धामी ने कहा कि यूसीसी मसौदा तैयार करने वाली समिति अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को 2 फरवरी को सौंप देगी।
उन्होंने कहा, आगामी विधानसभा सत्र में यूसीसी विधेयक लाया जाएगा और राज्य में इसे लागू करने का रास्ता साफ किया जाएगा। उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 5 फरवरी को शुरू होगा।
उत्तराखंड के यूसीसी मसौदे में लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करने, बहुविवाह पर प्रतिबंध और विरासत कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा जा सकता है। विरासत कानूनों में बदलाव से संपत्ति में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी का प्रावधान सुनिश्चित किया जाएगा।
सीएए के माध्यम से ऐसे गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जो अपने देश में उत्पीड़न से तंग आकर भारत आ गए हैं। जिन्हें इस कानून का लाभ मिलेगा, उनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्मों के ऐसे लोग शामिल हैं, जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके हैं।
संसद ने सीएए कानून को दिसंबर 2019 में पारित कर दिया था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस कानून का खुलकर विरोध किया था। इस कानून के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। सूत्रों का कहना है कि सीएए के लिए नियम लोकसभा चुनावों की घोषणा से बहुत पहले अधिसूचित किए जा सकते हैं। पिछले महीने कोलकाता में एक बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू करने से और नहीं टाला जा सकता।
शांतनु ठाकुर के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा पिछले पांच साल से सीएए के मुद्दे पर लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास करती रही है। ऐसा ही वह अब कर रही है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा,’ हमारी पार्टी की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कह दिया है कि राज्य में सीएए लागू नहीं किया जाएगा। भाजपा नेता लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे झूठे वादे कर राजनीतिक तिकड़मबाजी का प्रयास कर रहे हैं।’
संसदीय प्रक्रिया के मुताबिक, सीएए नियम संसद में कानून पारित होने के छह महीने के भीतर तैयार हो जाने चाहिए। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री इन नियमों को लाने के लिए संसदीय समिति से नियमित रूप से समय विस्तार लेते रहे हैं।