बिहार के उद्योग एवं पर्यटन मंत्री, नीतीश मिश्रा ने बिहार की अर्थव्यवस्था बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई आक्रामक रणनीतियों पर शिखा शालिनी से चर्चा की। उन्होंने राज्य में कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए निवेश प्रस्तावों को हकीकत में बदलने की भी बात की। साक्षात्कार के संपादित अंश:
बिहार में हाल के वर्षों में हुए बिजनेस कनेक्ट और निवेशक सम्मेलनों से कितने प्रस्ताव उद्योग और वास्तविक निवेश में बदले हैं?
हमने इस दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। 2023 के बिहार बिजनेस कनेक्ट से लगभग 50,300 करोड़ रुपये के प्रस्तावों में से लगभग 38,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं, जिसका अर्थ है कि वे प्रस्ताव के चरण को पार कर परिचालन के स्तर पर पहुंच रही हैं। वर्ष 2024 के लगभग 1.81 लाख करोड़ रुपये के बड़े प्रस्तावों में से, हमने लगभग 92,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। जिन बड़ी परियोजनाओं में मंजूरी की प्रक्रिया लंबित वे सभी अक्षय ऊर्जा से जुड़ी हैं और सभी प्रस्तावित निवेशों का लगभग आधा हिस्सा इस क्षेत्र में है।
लेकिन अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू होने में अधिक समय लगता है, ऐसे में सरकार इनका प्रबंधन कैसे कर रही है?
इन परियोजनाओं को लगाने में वास्तव में लंबा समय लगता है। हम दो क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सबसे पहले, हम अपनी जमीन के दायरे का विस्तार कर रहे हैं ताकि निवेशकों की जमीन आसानी से मिल सके। दूसरा, हम उद्योग क्षेत्र के लिए एक नया प्रोत्साहन पैकेज तैयार कर रहे हैं, जिसे जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इस नीति का जोर रोजगार सृजन पर होगा और साथ ही अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की लंबी समय-सीमा से जुड़ी चुनौतियां दूर करने का लक्ष्य भी होगा।
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व्यापार सुगमता सूचकांक में बिहार 26वें स्थान पर है और यहां भूमि विवाद और अफसरशाही से जुड़ी जटिल समस्याएं भी हैं। आपका मंत्रालय राज्य में कारोबारी माहौल को सकारात्मक बनाने के लिए क्या कर रहा है?
भूमि की उपलब्धता ऐतिहासिक रूप से एक बड़ी चुनौती रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए ही हम अपनी जमीन का दायरा (लैंड बैंक) बढ़ा रहे हैं। बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) ने 7,000 एकड़ जमीन जोड़ी है, जिसमें 7,000 एकड़ और जमीन पाइपलाइन में है। बियाडा का लक्ष्य सभी 38 जिलों में कुल 15,000 एकड़ जमीन अपने अंतर्गत लाने का है। हम सात जिलों में भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रहे हैं, जहां पहले कोई उद्योग नहीं था। इसके अलावा हम 17 नए औद्योगिक पार्कों की योजना बना रहे हैं, जिनमें से कुछ फार्मास्यूटिकल्स और सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) जैसे क्षेत्रों के लिए होंगे।
नए निवेश पैकेज को भी मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने का इंतजार है जिसकी मुख्यमंत्री ने हाल ही में घोषणा की है। यह नीति देश की सबसे बेहतर नीति साबित होने की उम्मीद है जिसमें निवेशकों के लिए ‘मुफ्त जमीन’ जैसे प्रोत्साहन भी शामिल होंगे। लंबे समय से चल रहे विवादों को हल करने के लिए, बियाडा ने एमनेस्टी पॉलिसी 2025 शुरू की है, जिसे बंद हो चुकी औद्योगिक इकाइयों के रद्द किए गए भूमि आवंटन जैसे मामलों का समाधान करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें औद्योगिक इकाइयां अपने उत्पादन की प्राथमिकताओं में भी बदलाव सकती हैं। इससे नीति से इस क्षेत्र के 600 से अधिक लंबित कानूनी मामलों को हल करने में मदद मिलेगी।
बिहार आर्थिक समीक्षा 2024-25 के मुताबिक मौजूदा कीमतों पर 14.5 प्रतिशत की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वृद्धि है, लेकिन राज्य की देनदारियों में 12.34 प्रतिशत की वृद्धि भी है। ऐसे में सरकार ऋण का प्रबंधन करते हुए उच्च वृद्धि दर कैसे बनाए रखेगी?
हमारी हाल की वृद्धि मुख्य रूप से स्कूलों, अस्पतालों और कल्याणकारी योजनाओं पर सरकारी खर्च के कारण दिखी है। इस वृद्धि को जारी रखने और ऋण प्रबंधन करने के लिए, हमें निश्चित रूप से निजी निवेश की आवश्यकता है। इसके बिना, मौजूदा विकास की रफ्तार कायम नहीं रह सकती है। वर्ष 2000 में राज्य के विभाजन के बाद, हमारी प्राथमिकताएं सड़क और बिजली जैसे बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करनी थी। अब जब यह नींव बेहतर हुई है तब और नई आकर्षक नीतियों के साथ, हमें विश्वास है कि हम औद्योगिक क्षेत्र के जीएसडीपी में योगदान बढ़ाने और कर्ज के बोझ को कम करने के लिए निजी निवेश पर जोर दे सकते हैं।
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राज्य में बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर और प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। लोगों के पास कृषि पर निर्भरता बढ़ाने के अलावा कोई उपाय नहीं है ऐसे में आप विधान सभा चुनाव में जनता का सामना कैसे करेंगे?
मुझे लगता है कि अतीत पर बहस करने की बजाय भविष्य के लिए काम करना बेहतर है। हमारे मंत्रिमंडल ने एक स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया है कि लोगों के लिए 1 करोड़ नौकरियों के मौके तैयार किए जाएंगे। उद्योग विभाग इसमें सबसे आगे है। हम उन निवेशकों को रियायती (कुछ मामलों में लगभग मुफ्त) जमीन की पेशकश कर रहे हैं जो बड़ी तादाद में रोजगार के मौके तैयार करने का वादा कर रहे हैं। इसके अलावा हमने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख योजनाओं पर भी जोर दिया है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यक उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने में मदद करने के लिए अनुदान और ऋण दिया जाता है।
बिहार लघु उद्यमी योजना सबसे गरीब परिवारों को छोटे कारोबार लगाने के लिए लगभग 2 लाख रुपये का अनुदान देती है। हम लगभग 94 लाख परिवारों के लिए इस योजना को तेजी से लागू करने पर काम कर रहे हैं। हम अपनी औद्योगिक रैंकिंग में सुधार करने और अपनी ‘पिछड़ी’ छवि को बदलने पर भी ध्यान दे रहे हैं। एक बार जब नई निवेश नीति को मंजूरी मिल जाएगी तब इससे रोजगार सृजन पर के साथ ही छोटे और बड़े दोनों उद्योग मजबूत होंगे।
हमने इसके लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जैसे कि आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, और जैव ईंधन। इसके अलावा वस्त्र उद्योग भी हमारी प्राथमिकता में शामिल है क्योंकि यह क्षेत्र कम जमीन और निवेश के साथ बड़े पैमाने पर नौकरियों के मौके तैयार कर सकता है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था की कृषि और सार्वजनिक खर्च पर निर्भरता कम होगी और एक संतुलित, उद्योग आधारित मॉडल प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने में मदद करेगा।
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स्टार्टअप क्षेत्र में बिहार ने क्या प्रगति की है?
पिछले साल, हमने बिहार स्टार्टअप नीति के तहत 1,000 स्टार्टअप जोड़े, जिससे जुलाई 2025 तक कुल पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 1,598 हो गई। इसमें से कुल 230 स्टार्टअप महिलाओं से जुड़े हैं। हमने बिहार आइडिया फेस्टिवल की भी मेजबानी की, जिसे पूरे राज्य से लगभग 25,000 विचार मिले। इन विचारों को स्टार्टअप नीति 2022 के तहत फंडिंग की पात्रता के लिए आकलन किया जा रहा है। ये स्टार्टअप कृषि-आधारित क्षेत्र से लेकर प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।