पानी की जबरदस्त किल्लत से जूझ रहे बेंगलूरु में रियल एस्टेट कंपनियां इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने और पानी बचाने वाले तरीके उनमें शामिल करने की कोशिशों में जुट गई हैं। उनका पूरा जोर पानी के संरक्षण पर है ताकि शहर के बाशिंदों को ऐसे संकट से दोबारा दोचार न होना पड़े।
प्रमुख रियल्टी कंपनी शोभा का कहना है कि खरीदार अब वाटर मीटर, बेकार पानी को ट्रीटमेंट के बाद दोबारा इस्तेमाल करने, बारिश का पानी बचाने और जमीन के भीतर भेजने तथा पानी बचाने के यंत्र लगवाने जैसे पर्यावरण के अनुकूल तरीकों में दिलचस्पी ले रहे हैं।
शोभा में कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट (प्लंबिंग, फायर ऐंड एन्वायरन्मेंट) प्रसन्न वेंकटेश ने कहा, ‘हालात देखते हुए अब सरकार और गैर सरकारी संगठनों का ध्यान पर्यावरण के अनुकूल साधनों पर टिक गया है। इनमें बारिश का पानी बचाना, पानी बचाने के तरीके अपनाना, बेकार पानी के ट्रीटमेंट की सुविधाएं सुधारना और झील तथा दूसरे जल स्रोतों को फिर बहाल करना शामिल हैं। जलवायु संकट के बीच पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोग कम प्रदूषण फैलाने वाले उत्पाद खरीदने पर जोर दे रहे हैं।’
शोभा अपनी परियोजनाओं में रेनवाटर हारवेस्टिंग और बेकार जल के दोबारा इस्तेमाल की सुविधाएं जरूर लगा रही है ताकि इस्तेमाल हो चुका अच्छी पानी दोबारा उपयोग में लाया जा सके।
वेंकटेश ने बताया, ‘शोभा चार पाइपों से पानी पहुंचाने की प्रणाली इस्तेमाल करती है जबकि रियल्टी में आम तौर पर दो पाइप से ही पानी की आपूर्ति की जाती है। हमारी कंपनी ने विभिन्न चरणों वाले केंद्रीकृत जल एवं अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र स्थापित किए हैं। इनके अलावा हरेक प्रकार के जल के लिए विशेष व्यवस्था की गई है ताकि ऊर्जा की बेजा खपत घटाई जा सके और जो पानी इस्तेमाल नहीं हो सका है वह बरबाद होने के बजाय दूसरे कामों में प्रयोग किया जाए।’
रियल्टी कंपनी श्रीराम प्रॉपर्टीज भी पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ परियोजनाओं पर जोर देती रही है। कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुरली मलयप्पन ने कहा, ‘हमारी परियोजनाएं कड़ी कसौटी पर कसी जाती हैं। कंपनी पर्यावरण का ध्यान रखने वाले उच्चस्तरीय उपायों के साथ परियोजनाएं तैयार कर रही है। इनमें जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन, ऊर्जा सक्षमता, अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल, जैव-विविधता संरक्षण एवं हरित क्षेत्र तैयार करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उपाय करना तथा परिस्थितियों के अनुसार ढलना शामिल हैं।’
मलयप्पन ने कहा कि ग्राहक इन सुविधाओं की कीमत भी चुकाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘नई टिकाऊ तकनीक स्थापित करने में खर्च तो होता है मगर हमने देखा है कि ग्राहक इसके लिए अलग से दाम चुकाने में हिचक नहीं रहे हैं। इसे देखते हुए जल एवं बिजली उपभोग के लिए अत्याधुनिक एवं अन्य टिकाऊ तकनीकों का इस्तेमाल करने पर हमारा विशेष ध्यान रहता है।’
कॉनकॉर्ड ग्रुप ने भी अपनी सभी परियोजनाओं में उच्च तकनीक से संचालित उपकरण लगाए हैं। कंपनी स्वचालित तकनीकों की मदद से सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठा रही है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक अनिल आर जी कहते हैं, ‘हम अपनी परियोजनाओं में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाली तकनीकों के इस्तेमाल की गुंजाइश बढ़ा रहे हैं। मिसाल के तौर पर हमारी आने वाली सभी परियोजनाओं में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन लगे होंगे।’
प्रेस्टीज ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि बतौर कंपनी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए वे अपनी परियोजनाओं में वर्षा जल संरक्षण, अपशिष्ट जल शुद्धिकरण संयंत्र एवं टिकाऊ जल प्रबंधन उपाय कर रहे हैं।