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अमेरिकी तनाव के बीच भारत की नजर जापान पर, ‘मेक इन इंडिया’ और सेमीकंडक्टर निवेश पर फोकस

अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत अधिक से अधिक जापानी निवेश आकर्षित करने और भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर देगा।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 27, 2025 | 11:19 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार की शाम को टोक्यो के लिए रवाना होंगे। जापान की उनकी दो दिवसीय यात्रा का मुख्य उद्देश्य उनकी सरकार की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल को बढ़ावा देना और सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस एवं दुर्लभ खनिज में बेहतर सहयोग के प्रयासों के बीच जापानी कंपनियों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है।

प्रधानमंत्री 29-30 अगस्त की अपनी यात्रा के दौरान कारोबारियों के एक कार्यक्रम में भाग लेंगे और सोनी, हिताची, निप्पॉन एवं नोमूरा सहित जापान के प्रमुख कारोबारी समूहों के शीर्ष अधिकारियों से मिलेंगे। मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ बुलेट ट्रेन में मियागी प्रान्त की राजधानी सेंडाई की यात्रा करेंगे और सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रॉन लिमिटेड के एक कारखाने का दौरा भी करेंगे।

अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत अधिक से अधिक जापानी निवेश आकर्षित करने और भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर देगा। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री जापानी कंपनियों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अवसरों के बारे में बात करेंगे। भारत में पंजीकृत जापानी कंपनियों और विशेष रूप से विनिर्माण कंपनियों को अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

भारत में जापान के दूतावास और जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (जेट्रो) के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, जापान की 1,400 कंपनियां भारत में पंजीकृत हैं और जिनमें से आधी विनिर्माण कंपनियां हैं। इन कंपनियों के भारत में करीब 5,000 कारोबारी प्रतिष्ठान हैं।

प्रधानमंत्री का नैशनल गवर्नर्स एसोसिएशन के साथ बातचीत करने का भी कार्यक्रम है, जहां वह जापान के कुछ प्रांतों के गवर्नरों से मिलेंगे। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मंगलवार को कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय राज्यों और जापानी प्रांतों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं।

यह 2018 के बाद मोदी की पहली पहली स्वतंत्र द्विपक्षीय यात्रा है। साल 2014 के बाद यह उनकी 8वीं यात्रा है। यह यात्रा जापान के प्रधानमंत्री इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हो रही है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की यात्रा का उद्देश्य जापान के कारोबारी समूहों को भरोसे का एक दमदार संकेत देना है। पिछले दो वर्षों के दौरान 170 से अधिक समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं जिनके तहत करीब 13 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है।

सूत्रों ने कहा कि इस्पात, वाहन, अक्षय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, रियल एस्टेट और अंतरिक्ष में निवेश की ये प्रतिबद्धताएं भारत की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता में जापान के भरोसे को मजबूत करती हैं। दोनों देशों ने प्रतिभाओं के आदान-प्रदान के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारतीय छात्रों को सेमीकंडक्टर, एआई, आईटी, रोबोटिक्स और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में विदेश में अध्ययन करने के अवसर मिल रहे हैं।

प्रधानमंत्री जापान से ही शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के थ्यानचिन जाएंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता होने वाली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ भी द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना है।

First Published : August 27, 2025 | 11:07 PM IST