बिजली प्लांटों की हाजिर बाजारों में हुई कमाई से अतिरिक्त राजस्व की वसूली की योजना बन रही है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इसका इस्तेमाल संकट के समय गैस से चल रहे संयंत्रों को धन मुहैया कराने में किया जाएगा।
शुरुआती प्रस्तावों के मुताबिक बिजली के हाजिर कारोबार की एक समान मूल्य सीमा होगी, बाद में इसकी जगह बिजली उत्पादन के हर स्रोत की नई सीमा तय होगी। मांग और आपूर्ति के आधार पर जब एकबार बाजार में कीमत की खोज हो जाएगी, उस सीमा से ज्यादा दाम पर बेची गई बिजली से जुटाया गया धन अतिरिक्त राजस्व माना जाएगा और इसे संकट योजना के लिए वसूला जाएगा।
इससे बिजली के खुदरा कारोबारियों को मदद मिल सकती है, जो ज्यादा कीमत रहने पर बाजार से बिजली खरीदने के लिए संघर्ष कर रही होती हैं, वहीं इससे हाजिर बाजार में बिजली बेचने वाली कंपनियों के मुनाफे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके बारे में चर्चा शुरुआती चरण में होने का हवाला देते हुए नाम न दिए जाने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन 23 जून को हुई बैठक में एक सुझाव आया है, जिस पर आगे चर्चा हो सकती है।’
इसके बारे में ई मेल भेजकर पूछे गए सवाल का केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने देश भर में 24 घंटे बिजली मुहैया कराए जाने को लेकर 23 जून को बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें हर स्रोत से बिजली की अलग कीमत तय किए जाने पर चर्चा की गई थी।