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ग्रीन हाइड्रोजन में 100 अरब डॉलर के निवेश की संभावना, 2030 तक 50 लाख टन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य

मंत्री ने कहा कि देश की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता पहले ही 250 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है, जिसे सरकार की 2030 तक 500 गीगावॉट तक बढ़ाने की योजना है।

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शुभांगी माथुर   
Last Updated- September 25, 2025 | 10:32 PM IST

भारत की वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करने की महत्वाकांक्षा से 100 अरब डॉलर का निवेश आएगा और इससे 6 लाख से अधिक रोजगार के मौके तैयार होंगे। गुरुवार को केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह बात कही।

एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के ‘वर्ल्ड हाइड्रोजन इंडिया’ सम्मेलन में जोशी ने कहा कि अक्षय ऊर्जा में भारत की हालिया वृद्धि के आधार पर, देश का लक्ष्य हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र बनना है। जोशी ने कहा, ‘हमारा दृष्टिकोण व्यापार सुगमता में सुधार और पूरी वैल्यू चेन में निवेश को जोखिम-मुक्त करने पर केंद्रित है।’

मंत्री ने कहा कि देश की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता पहले ही 250 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है, जिसे सरकार की 2030 तक 500 गीगावॉट तक बढ़ाने की योजना है। इस 250 गीगावॉट गैर-जीवाश्म क्षमता में 123.13 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 52.68 गीगावॉट पवन ऊर्जा, 55.22 गीगावॉट जल ऊर्जा, 11.60 गीगावॉट बायो-ऊर्जा और 8.78 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा शामिल है।

इस कार्यक्रम में एसऐंडपी ग्लोबल ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि एक ऐसे माहौल में जहां 80 प्रतिशत उत्पादन हरित हाइड्रोजन द्वारा समर्थित है ऐसे में भारत की ऊर्जा मांग में हाइड्रोजन की हिस्सेदारी 2060 तक मौजूदा 1.8 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। इसी माहौल में, वैश्विक हाइड्रोजन मांग 2060 तक वर्तमान स्तर के 3.5 गुना तक बढ़ सकती है।

First Published : September 25, 2025 | 10:26 PM IST