वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फाइल फोटो
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनियामकों और विभागों से दावा न किए गए जमा को सही मालिकों को वापस करने और अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने को कहा है। सीतारमण ने ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद’ (एफएसडीसी) की 29वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए और सही दावेदारों के दावों पर तेजी से कदम उठाया जाना चाहिए।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री ने परिषद से सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया ताकि नागरिकों को वित्तीय क्षेत्र में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) से संबंधित प्रक्रियाओं के संबंध में सहज अनुभव मिल सके। इस दौरान भारतीय प्रतिभूति बाजार में भारतीय मूल के लोगों समेत अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए डिजिटल रूप से जोड़े जाने सहित केवाईसी प्रक्रिया के सामान्य मानदंडों, सरलीकरण और डिजिटलीकरण की जरूरत पर जोर दिया गया।
सीतारमण ने नियामकों और विभागों से जिला स्तर पर विशेष शिविर लगाकर दावा न किए गए धन को उसके सही मालिकों को लौटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया। यह अभियान आरबीआई, सेबी, एमसीए, पीएफआरडीए और आईआरडीए के साथ-साथ बैंकों, पेंशन एजेंसियों, बीमा कंपनियों के साथ तालमेल में चलाया जाना है। दावा न किए गए धन में बैंकों में जमा राशि के साथ ही दावा न किए गए शेयर एवं लाभांश और दावा न किए गए बीमा एवं पेंशन कोष शामिल हैं।
आरबीआई की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 के अंत तक बैंकों में दावा न की गई जमा राशि 26 प्रतिशत बढ़कर 78,213 करोड़ रुपये हो गई थी। एफएसडीसी ने वृहद वित्तीय स्थिरता से संबंधित मुद्दों और उनसे निपटने के लिए भारत की तैयारियों पर चर्चा की। परिषद ने घरेलू और वैश्विक वृहद वित्तीय स्थिति से उभरते रुझानों पर विचार-विमर्श किया और सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया।
एफएसडीसी ने पिछले निर्णयों और बजट घोषणाओं को लागू करने के लिए रणनीति तैयार करने से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की। इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अलावा बाजार नियामक सेबी के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के अध्यक्ष के. राजारमण और आईबीबीआई और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।