ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) निर्माता फाइबर नेटवर्क की बढ़ती मांग को पूरा करने और 5जी सेवाओं के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाने की तैयारी कर रहे हैं। दूरसंचार कंपनियों का मानना है कि वे अगले तीन-चार साल में भारत में ओएफसी पर 1.5-2.5 अरब डॉलर के बीच खर्च करेंगी। 5जी और फाइबर-टु-द होम (एफटीटीएच) फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की पेशकश की वजह से वैश्विक मांग 2021 के 9.2 अरब डॉलर (50.2 करोड़ फाइबर किलोमटर) से बढ़कर 2024 तक 12 अरब डॉलर (61 करोड़ फाइबर किलोमटर) पर पहुंच जाएगी।
ऑप्टिकल फाइबर कंपनियों का कहना है कि फाइबर के लिए मांग दोगुना से तीन गुना के बीच बढ़ेगी। मौजूदा समय में, यह 2 करोड़ फाइबर किलोमीटर के आसपास है और विश्लेषकों का मानना है कि इसमें करीब 50 प्रतिशत योगदान रिलायंस जियो का है।
देश में प्रमुख तीन कंपनियों में शामिल स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक अंकित अग्रवाल का कहना है, ‘हमें भारत में मांग सालाना तीन गुना बढ़कर 6 करोड़ फाइबर किलोमीटर पर पहुंच जाने का अनुमान है और इसमें करीब आधा योगदान 5जी और फिक्स्ड एफटीटीएच ब्रॉडबैंड प्रदाताओं का रहने की संभावना है तथा 2.5 करोड़ फाइबर किलोमीटर नेटवर्क सरकारी ठेकों से जुड़ा हो सकता है। वहीं चार साल में हमें करीब 24 करोड़ फाइबर किलोमीटर नेटवर्क का अनुमान है।’
अन्य बड़ी कंपनी एचएफसीएल ज्यादा सतर्क बनी हुई है। एचएफसीएल के चेयरमैन महिंद्रा नहेटा ने कहा, ‘हमारा मानना हैकि मांग दोगुना से ज्यादा बढ़कर 4.5 करोड़ फाइबर किलोमीटर हो जाएगी और इसमें दो-तिहाई योगदान 5जी टेलीकॉम ऑपरेटरों का रहेगा तथा शेष सरकार तथा अन्य से जुड़ा होगा।’
हालांकि वे सरकारी भारत नेट अनुबंधों के आकार को लेकर एकमत नहीं हैं, जिनके तहत 360,000 गांवों को तीन साल में इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य शामिल है और नहेटा तथा अग्रवाल, दोनों ही इसे लेकर सहमत हैं कि मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पहले से ही पर्याप्त क्षमता मौजूद है।
नहेटा ने कहा, ‘हमारे पास पर्याप्त क्षमता है। सभी कंपनियां मिलकर एक साल में 10 करोड़ फाइबर किलोमीटर नेटवर्क तैयार करने की क्षमता से संपन्न हैं। एचएफसीएल में हम अपनी क्षमता का लाभ उठा रहे हैं और घरेलू मांग वैश्विक होगी, जहां एफटीटीएच के लिए अच्छी मांग है।’
विश्लेषकों का कहना है कि एचएफसीएल का लक्ष्य वैश्विक बाजारों से अपना राजस्व दो साल में दोगुना करना है। कंपनी ने अपने उत्पादों की बिक्री के लिए 30 देशों में प्रवेश किया है, प्रमुख वैश्विक बाजारों में आधारित टीम का गठन किया है और 400 करोड़ रुपये की विस्तार योजना पर काम कर रही है।