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आधे से ज्यादा सरकारी बैंक के बड़े अधिकारियों को डिजिटल बदलाव के लिए नई स्किल सीखने की जरूरत: स्टडी

PSB ग्राहकों तक पहुंच, ऑपरेशंस और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल तरीकों को अपना रहे हैं।

Published by
राघव अग्रवाल   
Last Updated- April 22, 2024 | 6:52 PM IST

डेलॉयट इंडिया द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि भारतीय सरकारी बैंकों (PSB) के आधे से ज्यादा बड़े अधिकारियों को अपने बैंकों को तेजी से बदलने (transform) के लिए डिजिटल बनने की ज़रूरत है। “पब्लिक सेक्टर के बैंकों पर डेलॉयट का नजरिया” नाम के इस अध्ययन में 100 से ज्यादा बैंक अधिकारियों की राय ली गई। अध्ययन में पाया गया कि बैंकों में तेजी से डिजिटल तरीके अपनाए जा रहे हैं, लेकिन हर स्तर पर अधिकारियों को इसे लागू करने की समझ होनी चाहिए।

तीन चीजों पर फोकस कर रहे बैंक

अध्य्यन में कहा गया है, PSB यानी पब्लिक सेक्टर के बैंक आजकल तीन चीजों को बदल रहे हैं, वो भी डिजिटल तरीके से! पहला, वो अब ग्राहकों तक बैंक के प्रोडक्ट और सेवाएं पहुंचाने के नए रास्ते अपना रहे हैं। दूसरा, वो अपने ऑपरेशन और सेवाओं को आसान बना रहे हैं ताकि आप आसानी से लेनदेन कर सकें और बैंक से मदद ले सकें।

तीसरा, वो आपके पैसों और जानकारी की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं। लेकिन ये सब करते हुए वे सामाजिक जिम्मेदारियों को भी नहीं भूल रहे हैं, जैसे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बैंकिंग से जोड़ना। कुल मिलाकर, ये बदलाव PSB को और बेहतर, ग्राहक-पसंद और समाज के लिए काम करने वाले बनाएंगे।

अध्य्यन में कहा गया है, PSB तेजी से बदल रहे हैं मगर उनके लीडर्स के लिए ये बदलाव चुनौती बन गए हैं। एक तरफ बैंकों को जल्दी बदलना है वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने काम करने के तरीकों को भी बदलना है ताकि वो डिजिटल बन सकें। पर असली दिक्कत ये है कि PSB का काम बहुत बड़ा और जटिल होता है, जिसे बदलना और संभालना मुश्किल है।

दिक्कत यहीं नहीं खत्म होती, बैंकों में ऊपर के अफसर यानी सीईओ और बाकी बड़े अधिकारी ज्यादातर रोज़ के कामों में उलझे रहते हैं और नए डिजिटल तरीकों को अपनाने में थोड़ा पीछे रह जाते हैं। तो कुल मिलाकर, PSB नेताओं को इन मुश्किलों को पार करने के लिए नए हुनर सीखने होंगे और काम करने के नए तरीके अपनाने होंगे, तभी वो डिजिटल दौर में सफल हो पाएंगे।

PSB लीडर्स को होना होगा ज्यादा चुस्त

PSB लीडर्स के लिए ये बदलाव लाना आसान नहीं है। डेलॉयट इंडिया के मुताबिक, उन्हें अब और ज्यादा चुस्त होना होगा। नए ट्रेंड को जल्दी समझना और उन्हें अपने बैंक में लागू करना सीखना होगा। डेलॉयट इंडिया में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस प्रैक्टिस (इंडिया) के प्रमुख प्रखर त्रिपाठी ने कहा- हालांकि, इसका ये मतलब नहीं कि उन्हें कोडिंग सीखनी होगी। असली जरूरत है कि वो पूरे डिजिटल बदलाव का नेतृत्व कर सकें और उसे अपनाएं।

इसके लिए उन्हें सिर्फ बैंक के अंदरूनी कामकाज से नहीं बल्कि बाजार के बदलावों, ग्राहकों की जरूरतों और सरकारी नियमों को भी समझना होगा। कुल मिलाकर, PSB लीडर्स को अपनी स्किल में इजाफा करना होगा ताकि वो डिजिटल दौर में सफल हो सकें।

अग्रवाल के मुताबिक PSB लीडर्स में डिजिटल बदलाव को लेकर काफी गैप है। वो न तो नए डिजिटल ट्रेंड को समझ पा रहे हैं और न ही बाजार के हिसाब से खुद को बदल पा रहे हैं। साथ ही ये स्टार्टअप्स से होने वाले खतरों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं।

दिलचस्प बात ये है कि अध्ययन में ये भी पाया गया कि बैंक में जूनियर पद वाले कर्मचारी डिजिटल बदलाव को लेकर काफी उत्साहित हैं। वो रिस्क लेने और पुराने तरीकों को बदलने के लिए भी तैयार हैं। वहीं दूसरी तरफ मिडिल मैनेजमेंट नए आइडियाज को तो अपना लेता है लेकिन खुद से कोई नया नियम बनाने में हिचकिचाता है।

जूनियर मैनेजर बदलाव को लेकर ज्यादा उत्साहित

डेलॉइट इंडिया में ह्यूमन कैपिटल सर्विसेज की निदेशक अमृता सियान ने कहा, भले ही सीनियर मैनेजमेंट का अनुभव बहुत काम आता है, फिर भी बैंकिंग का माहौल इतनी तेजी से बदल रहा है कि जूनियर मैनेजर डिजिटल बदलाव को अपनाने में कहीं ज्यादा तेज़ और उत्साहित दिख रहे हैं।

अध्ययन के मुताबिक टॉप मैनेजमेंट को युवा मैनेजमेंट को आगे बढ़ाने के लिए उनका साथ देना चाहिए और उन्हें नई स्किल सीखने में मदद करनी चाहिए। कुल मिलाकर, PSB को सफल होने के लिए अनुभव और नई सोच का तालमेल बिठाना होगा।

First Published : April 22, 2024 | 6:52 PM IST