जनवरी 1991 से जनवरी 2008 के दौरान सेंसेक्स (एक्स-डिविडेंड) की सालाना चक्रवृध्दि दर (सीएजीआर) 19 प्रतिशत से अधिक थी।
अब, सेंसेंक्स के 21,000 अंकों से लुढ़क कर 9,000 अंकों के नीचे आ जाने पर सीएजीआर घट कर 13 प्रतिशत रह गया है। 18 सालों में इक्विटी ने समवर्ती बैंक सावधि जमा दरों से तीन प्रति या उससे अधिक का जोखिम प्रीमियम दिया है।
साल 2003 में सीएजीआर घट कर 10 प्रतिशत से नीचे आ गया था। उच्च स्तर भ्रामक है क्योंकि 1990 के शुरुआत में बाजार में आई बढ़त के कारण 1991 से 1996 के दौरान सीएजीआर बढ़ कर 30 प्रतिशत हो गया था।
अगले 13 वर्षों में (जनवरी 1996 के बाद) हालांकि, सीएजीआर 19 से 20 प्रतिशत के दायरे में रहा। लाभांश से होने वाला औसत लाभ लगभग 1.5 प्रतिशत रहा है।
क्या कोई निवेशक सीएजीआर के उतार-चढ़ावों को दीर्घावधि की खरीदारी या बिकवाली के संकेतों के तौर पर इसतेमाल कर सकता है? ऐसा संभव लगता है क्योंकि इक्विटी बाजार के अन्य गुण-धर्मो की तरह ही सीएजीआर का औसत पुन:वापसी करता है।
प्रतिफल में औसत मूल्यों के अनुसार सुधार होता है। अगर शुरुआती सालों के अतिरिक्त प्रतिफल को हटा कर देखें तोऔसत प्रतिफल लगभग 15 से 16 प्रतिशत रहा है। मीडियन रिटर्न लगभग 14.5 प्रतिशत का रहा है।
जब कभी सीएजीआर घट कर मीडियन से कम हो जाता है तो इंडेक्स खरीदारी करने लायक होता है। अगर इस संकेत को अन्य पारंपरिक मीन रिवर्सिंग संकेतों जैसे कीमत-बुक वैल्यू और प्राइस अर्निंग (पीई) अनुपातों के साथ मिला कर देखा जाए तो हमें दीर्घावधि के लिए उठाने लायक कदमों के बारे में आसानी से पता चल जाता है।
साल 1996 से सेंसेक्स का औसत पीई लगभग 17 रहा है। कभी कभार ही बाजार 20से अधिक के पीई को बरकरार रख पाया है और यह कभी कभार ही 13 पीई के स्तर से नीचे गया है। इकाई अंक वाला पीई विरल ही देखा गया है।
जब कभी बाजार 13 पीई के स्तर से नीचे गया तो वह खरीदारी का अच्छा अवसर रहा है। अभी इसका कारोबार लगभग 12 पीई पर किया जा रहा है। प्राइस बुक वैल्यू (पीबीवी) पर गौर फरमाने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जब कभी पीबीवी 2.5 के नीचे जाता है तो वह वक्त खरीदारी के लिए बेहतर होता है।
अभी यह लगभग 2.5 के इर्द गिर्द है। इसी प्रकार, 1.5 प्रतिशत का लाभांश भी आमतौर पर खरीदारी का संकेत देता है। लाभांश से होने वाला मुनाफा वर्तमान में 1.3 प्रतिशत का है।
इन संकेतों को मिला कर देखा जाए तो यह वक्त खरीदारी के पक्ष में नजर आता है साथ ही इंडेक्स फंडों में दीर्घावधि के लिए निवेश बनाए रखने की ओर इशारा करता है।
इन चार परिवर्तनशील कारकों में से तीन खरीदारी की ओर संकेत कर रहे हैं और चौथा पीबीवी अभी शीर्ष पर है। यह सही है कि बाजार की मंदी गंभीर रही है और सुधार के कोई स्पष्ट संकेत अभी नहीं मिल रहे हैं।
यह भी संभव हो सकता है कि अभी तक हमने निचला स्तर नहीं देखा हो। वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
लेकिन इस बात के ऐतिहासिक सबूत हैं कि इस तरह के आकलन के समय में की गई खरीदारी तीन वर्ष की अवधि के लिए निवेशकों के सफलता की नीति रही है।
विवेक कहता है कि वास्तविक निचले स्तर का प्रयास करने की जगह एक निवेशक को अभी खरीदारी शुरू करनी चाहिए और औसत मूल्य कम रखने के लिए इसे जारी रखना चाहिए। दूसरी दिलचस्प बात यह है कि मूल आंकड़ों के आधार पर बेचने के संकेत प्राप्त करना भी आसान है।
अगर सीएजीआर 19 प्रतिशत से अधिक है तो आपके लिए यह बेचने का संकेत है। लाभांश से प्राप्त होने वाला मुनाफा अगर एक प्रतिशत से कम हो जाए तो बेचने का इशारा है।
पीबीवी अगर 4.5 फीसदी से अधिक है तो बेचने का संकेत मिलता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अधिकांश समय में बेचने के ये संकेत सही रहे हैं।