मंगलवार को रुपया गिरकर 84.93 रुपये प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गया है। डीलरों ने कहा कि भारत के वस्तु व्यापार का घाटा नवंबर में बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और घरेलू इक्विटी की बिकवाली के कारण ऐसा हुआ है।
स्थानीय मुद्रा 84.90 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई। डॉलर की बिक्री के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर गिरावट थामने की कवायद की। सोमवार को यह 84.87 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘व्यापार घाटे के आंकड़े के कारण रुपया गिरा। इसके साथ ही तेल आयातकों की ओर से डॉलर की मांग थी और इक्विटी की बिकवाली का भी असर पड़ा।’ उन्होंने कहा, ‘84.90 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया।’
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि रुपये पर दबाव जारी रहने की संभावना है और यह इस समय 85 रुपये प्रति डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है और मार्च 2025 तक गिरकर 85.50 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘बढ़ते व्यापार घाटे के साथ पूजी की सुस्त आवक के कारण भुगतान संतुलन ऋणात्मक हुआ है और इसकी वजह से रुपये पर दबाव बढ़ा है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि मार्च तक रुपया गिरकर 85.50 प्रति डॉलर और दिसंबर 2025 तक 86.50 प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है।’
चालू कैलेंडर वर्ष में रुपया अब तक 1.99 प्रतिशत गिरा है। इस महीने में 0.48 प्रतिशत की गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में अब तक रुपये में 1.76 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।