केंद्र को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस माह के अंत तक आईडीबीआई के संभावित बोलीकर्ता के बारे में फिट ऐंड प्रॉपर यानी सही और उचित होने की रिपोर्ट दे देगा। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय बैंक जांच-पड़ताल करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में है। इस रिपोर्ट की बदौलत आईडीबीआई बैंक के ज्यादातर हिस्से को त्वरित ढंग से बेचने में मदद मिल सकती है। इस बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी को खरीदने के लिए कम से कम चार संभावित बोलीकर्ताओं ने शुरुआती निविदाएं पेश की हैं।
एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘एक को छोड़कर सभी संभावित बोलीदाता आरबीआई के सही व उचित मानदंडों को पूरा कर रहे हैं। मानदंड पूरा नहीं करने वाला बोलीकर्ता विदेशी है।’ अधिकारी ने संकेत किया, ‘महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होने के कारण आरबीआई का आकलन आमतौर से अधिक दीर्घावधि का होना तय था। आमतौर पर प्रक्रिया को पूरा होने में 12 – 18 महीने का समय लगता है।’
इस बैंक के विनिवेश की राह में केंद्रीय बैंक की मंजूरी पहला मील का पत्थर साबित होगी। सरकार ने 2 जनवरी, 2023 को अनेक निविदाकर्ताओं से अभिरुचि पत्र प्राप्त किए थे। आरबीआई से एक बार स्वीकृति मिलने के बाद योग्य निविदाकर्ता ड्यू डिलिजेंस यानी बैंक की जांच-पड़ताल करेंगे। विनिवेश की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में निविदाकर्ताओं को बैंक के कारोबार को समझने और शंकाओं के निवारण करने के लिए आईडीबीआई बैंक के वर्चुअल डेटा रूम तक पहुंच मिल जाएगी।
बोलीकर्ता शेयर खरीद समझौते (एसपीए) के मसौदे की भी समीक्षा करेंगे। इसमें विनियामक अनुमोदन सहित सिलसिलेवार कई पूर्ववर्ती अनिवार्य जरूरतें हैं, जिन्हें सरकार और एलआईसी को पूरा करना है। इसके बाद सरकार वित्तीय बोलियां आमंत्रित करेगी। सूत्रों ने बताया कि सरकार का लक्ष्य आईडीबीआई की हिस्सेदारी बिक्री को इस वित्तीय वर्ष में ही पूरा करना है।
यदि एलआईसी और सरकार बैंक में अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह खत्म नहीं भी करते हैं तो भी इन दोनों को विश्वसनीय बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस बैंक में अपनी पर्याप्त साझेदारी बेचनी होगी। केंद्र ने 7 अक्टूबर, 2022 को आईडीबीआई बैंक के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किया था।