भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि नियामक ने विभिन्न हस्तक्षेप करके बैंकिंग व्यवस्था में पर्याप्त नकदी बनाए रखी है, जिसकी वजह से मौद्रिक नीति समिति द्वारा नीतिगत दरों में की गई कटौती का मुद्रा, बॉन्ड और ऋण बाजार पर बेहतर असर पड़ा है। मल्होत्रा ने आश्वस्त किया कि रिजर्व बैंक व्यवस्था में पर्याप्त नकदी बनाए रखेगा, जिससे मुद्रा बाजार और ऋण बाजार पर नीतिगत असर सुचारु रूप से बना रह सके।
व्यवस्था में नकदी की स्थिति को लिक्वडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) के तहत मापा जाता है। यह अधिशेष की स्थिति में बनी हुई है। मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक से ही व्यवस्था में रोजाना 3 लाख करोड़ रुपये नकदी अधिशेष की स्थिति है, जबकि इसके पहले के 2 महीनों में रोजाना का औसत नकदी अधिशेष 1.6 लाख करोड़ रुपये था।
मल्होत्रा ने कहा, ‘पिछली नीतिगत बैठक के बाद घोषित नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती सितंबर से चरणबद्ध तरीके से लागू होगी, जिससे आगे चलकर नकदी की स्थिति और बेहतर हो जाएगी।’
फरवरी से अब तक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा 100 आधार अंक की कटौती के बाद ऋण बाजार में बैंकों की नए कर्ज पर वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट (डब्ल्यूएएलआर) फरवरी से जून के बीच 71 आधार अंक कम हुई है और पुराने कर्ज पर ब्याज दर में 39 आधार अंक की कमी आई है।
जमा की स्थिति देखें तो नई जमा पर वेटेड एवरेज डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट रेट (डब्ल्यूएडीटीडीआर) इस अवधि के दौरान 87 आधार अंक घटी है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक नकदी प्रबंधन के मामले में लचीला रुख जारी रखेगा। हम बैंकिंग व्यवस्था में पर्याप्त नकदी बनाए रखेंगे ताकि अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतें पूरी हो सकें और मुद्रा बाजार एवं ऋण बाजार पर नीतिगत फैसलों का असर सुगमता से पहुंच सके।’
जहां तक मुद्रा बाजार का संबंध है, 100 आधार अंक की कटौती के मौजूदा चक्र में वेटेड एवरेज कॉल रेट (डब्ल्यूएसीआर) 108 आधार अंक कम हुई है। इसके साथ ही फरवरी से 3 माह की टी-बिल दर 110 आधार अंक, एनबीएफसी द्वारा जारी 3 माह के वाणिज्यिक पत्र पर दर 161 आधार अंक, और 3 माह के जमा प्रमाण पत्र (सीडी) पर दर 170 आधार अंक घटी है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘मुद्रा बाजार पर असर तेज रहा है। बड़ी कंपनियों ने वाणिज्यिक पत्र और कॉरपोरेट बॉन्डों के माध्यम से बाजार से धन जुटाया है और बैंकों के ऋण पर उनकी निर्भरता कम हुई है। साथ ही बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और कारोबार के विस्तार के लिए उनके आंतरिक संसाधन बढ़े हैं।’
फरवरी से अब तक 5 साल और 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 63 आधार अंक और 28 आधार अंक कम हुई है। इसी अवधि के दौरान 5 साल के एएए कॉरपोरेट बॉन्ड की यील्ड 56 आधार अंक कम हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि बैंक ऋण की वृद्धि दर सुस्त हुई है मगर गैर बैंक स्रोतों से धन की आवक बढ़ी है, जिससे बैंक के ऋण में घटी वृद्धि की भरपाई हो गई है।
आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 के दौरान बैंक ऋण 12.1 प्रतिशत बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2024 के 16.3 प्रतिशत से कम है। साथ ही यह वित्त वर्ष 2025 के पहले के 10 साल की औसत वृद्धि दर 10.3 प्रतिशत से ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2025 के दौरान गैर खाद्य बैंक ऋण 3.4 लाख करोड़ रुपये घटकर करीब 18 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जो 21.4 लाख करोड़ रुपये था। वहीं गैर बैंक स्रोतों से आए धन ने इस कमी की भरपाई कर दी है।
इस तरह से बैंक ऋण में वृद्धि पिछले साल सुस्त रही है, लेकिन कुल मिलाकर वित्तीय स्रोतों से वाणिज्यिक क्षेत्र को मिले ऋण की स्थिति देखें तो यह वित्त वर्ष 2024 के 33.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 34.8 लाख करोड़ रुपये हो गई है।