भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दो सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) सहित चार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ऋण स्वीकृत और आवंटित करने से रोक दिया है। कर्ज लेने वालों से अत्यधिक ब्याज वसूलने की वजह से बैंकिंग नियामक ने यह कार्रवाई की है।
आरबीआई ने जिन चार एनबीएफसी पर कार्रवाई की है उनमें आशीर्वाद माइक्रोफाइनैंस, आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज, डीएमआई फाइनैंस और फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन बंसल की नावी फिनसर्व शामिल है।
डीएमआई पर्सनल और एमएसएमई को कर्ज देती है जबकि नावी फिनसर्व होम और पर्सनल लोन देती है। नियामक ने एक बयान में कहा कि पहले से जिन लेनदेन की प्रक्रिया चल रही है उसे पूरा करने के बाद यह प्रतिबंध 21 अक्टूबर से लागू होगा।
आरबीआई की कार्रवाई पर नावी फिनसर्व ने कहा कि कंपनी निर्देशों का अध्ययन कर रही है और इस संबंध में नियामक के साथ काम करेगी। कंपनी उठाई गई सभी चिंताओं को तत्परता से दूर करेगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद एनबीएफसी और एमएफआई को अपनी इक्विटी से अत्यधिक रिटर्न कमाने के पीछे भागने को लेकर चेताया था। उन्होंने कहा था कि चिंता तब पैदा होती है जब ब्याज दरें बहुत अधिक हो जाती हैं और अनुचित रूप से ज्यादा प्रोसेसिंग शुल्क लिया जाता है।
एनबीएफसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बारे में आरबीआई ने कहा, ‘यह कार्रवाई इन कंपनियों की मूल्य निर्धारण नीति में उनके भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) और उनके कोष की लागत पर लगाए गए ब्याज स्प्रेड को देखने के बाद की गई है। यह काफी ज्यादा पाई गई और इसमें नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था।’
सूक्ष्म वित्त उद्योग के सूत्रों के अनुसार नियामक ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में समूचे एनबीएफसी-एमएफआई की विस्तृत जांच की थी। नियामक विशेष रूप से निरीक्षण के दौरान मूल्य निर्धारण नीति, ग्राहकों से वसूले जाने वाले ब्याज दरों के बारे में जानना चाहते थे।
आरबीआई ने कहा कि वह इन संस्थाओं को अपनी नियामक स्वतंत्रता का जिम्मेदारी से उपयोग करने और खास तौर पर छोटे मूल्य के कर्ज के लिए उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने हेतु संवेदनशील बना रहा है।