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RBI की नजर फिनटेक कंपनियों पर, मर्चेंट कैटेगरी बदलकर बचाई फीस!

सूत्रों ने बताया कि भुगतान फिनटेक कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने क्रेडिट कार्ड शुल्क ढांचे का फायदा उठाने के लिए व्यापारियों का गलत वर्गीकरण किया।

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अजिंक्या कवाले   
Last Updated- May 30, 2025 | 8:04 AM IST

व्यापारियों के वर्गीकरण मामले में भुगतान फिनटेक कंपनियों पर नियामकीय सख्ती बढ़ सकती है। सूत्रों ने बताया कि भुगतान फिनटेक कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने क्रेडिट कार्ड शुल्क ढांचे का फायदा उठाने के लिए व्यापारियों का गलत वर्गीकरण किया। इससे कार्ड नेटवर्क द्वारा इंटरचेंज शुल्क दरों में बदलाव किया जा रहा है। सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि चर्चा है कि कई कंपनियों ने व्यापारियों को गलत तरीके से वर्गीकृत किया है। उदाहरण के लिए, खुदरा श्रेणी के व्यापारियों को यूटिलिटी श्रेणी में वर्गीकृत करते हुए कम इंटरचेंज शुल्क के दायरे रखा गया और शुल्क की बची हुई रकम को अपनी जेब में रख लिया। इंटरचेंज शुल्क वह रकम होती है जो ग्राहक द्वारा कार्ड के जरिये किए गए हर लेनदेन पर कार्ड जारी करने वाले बैंक को भुगतान की जाती है।

मामले से अवगत सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस मामले में संज्ञान लिया है। मगर इस संबंध में जानकारी के लिए आरबीआई को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

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कार्ड नेटवर्क प्लेटफॉर्म इस मामले में पहले ही संज्ञान ले चुके हैं। मास्टरकार्ड और रुपे जैसे कार्ड नेटवर्क ने इसे ध्यान में रखते हुए यूटिलिटी मर्चेंट कैटेगरी कोड (एमसीसी) के लिए इंटरचेंज शुल्क को बढ़ाकर 0.85 से 1.85 फीसदी के दायरे में कर दिया है। उम्मीद है कि वीजा भी शुल्क बढ़ा सकता है। इंटरचेंज शुल्क में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर मास्टरकार्ड, रुपे और वीजा ने भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।

यूटिलिटी के लिए इंटरचेंज शुल्क ढांचे को अन्य एमसीसी के बराबर कर दिया गया है ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके। साथ ही इससे कम और अ​धिक मूल्य श्रेणियों के बीच के अंतर को कम किया जा सकेगा।

एक अ​धिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘पेमेंट्स एग्रीगेटर्स (पीए) खुदरा व्यापारियों को यूटिलिटी श्रेणी में रखने लगे हैं। इस प्रकार उनसे अधिक शुल्क वसूलने के बावजूद कम इंटरचेंज शुल्क की प्रॉसेसिंग की जाती है। इस प्रकार बची हुई रकम को एग्रीगेटर अपनी जेब में डाल लेते हैं। कई फिनटेक फर्मो ने इसे अपना कारोबारी मॉडल बना लिया है।’

उद्योग प्रतिभागियों और सूत्रों ने कहा कि भुगतान में कम मार्जिन, तगड़ी प्रतिस्पर्धा और पूंजी बाजार में उतरने की तैयारी में अपने मूल्यांकन को उचित ठहराने की को​शिश के कारण यह रुझान दिख रहा है।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल 53 ऑनलाइन भुगतान एग्रीगेटर हैं। मगर कई कंपनियों ने माना कि एमसीसी के लिए इंटरचेंज शुल्क में वृद्धि किए जाने से उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। इस मामले से अवगत एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘बुनियादी यूटिलिटी सेवा के लिए क्रेडिट कार्ड के जरिये किए गए लेनदेन पर 1.85 फीसदी का इंटरचेंज शुल्क काफी अधिक है। अ​धिक इंटरचेंज शुल्क होने पर आगे क्रेडिट कार्ड का उपयोग कम हो सकता है।’

First Published : May 30, 2025 | 8:04 AM IST