Vodafone Idea AGR case: वोडाफोन आइडिया के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले में नया अपडेट सामने आया है। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करेगी। यह आदेश वोडाफोन आइडिया की एजीआर बकाया की दोबारा गणना से जुड़ी याचिका पर है। सिंधिया ने कहा कि आदेश के निहितार्थों को समझने के बाद ही सरकार कोई नीति निर्णय लेगी।
सिंधिया ने कहा, ”हमें आदेश का अध्ययन करना होगा ताकि उसके प्रभावों को समझा जा सके। हम वोडाफोन आइडिया के राहत के लिए आवेदन करने का इंतजार करेंगे।” उन्होंने यह बात डाक विभाग की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कही।
सूत्रों के अनुसार, वोडाफोन आइडिया को औपचारिक रूप से यह बताना होगा कि वह किस तरह की राहत चाहती है। हालांकि राहत की सीमा और आगे की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के शब्दों पर निर्भर करेगी, जो अभी जारी होना बाकी है।
उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विवरण सरकार के अगले कदम तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच होने वाली चर्चाएं इस मामले में निर्णायक साबित होंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को (27 अक्टूबर) केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea) की उस याचिका पर विचार करने की अनुमति दी, जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लगाए गए अतिरिक्त एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) डिमांड को रद्द करने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मुद्दा सरकार की नीति के दायरे में आता है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश वोडाफोन आइडिया की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें DoT द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 तक के AGR बकाया की नई मांगों को चुनौती दी गई थी। कंपनी का तर्क था कि AGR से जुड़ी देनदारियां पहले ही सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में तय हो चुकी हैं, इसलिए नई मांगें कानूनी रूप से उचित नहीं हैं। केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया में 49% हिस्सेदारी रखती है, और कंपनी के करीब 20 करोड़ ग्राहक हैं।
बता दें, AGR वह आधार है जिस पर दूरसंचार कंपनियां सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्जेज का भुगतान करती हैं। इस पर विवाद, खासकर नॉन-टेलीकॉम इनकम को शामिल करने को लेकर, वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों के लिए भारी फाइनैंशल बोझ बन गया था।